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Home    वह कचरा नहीं थी, जिसे तुमने फेंक दिया…

Latest News On Infanticide

वह कचरा नहीं थी, जिसे तुमने फेंक दिया…

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चार-साढ़े चार घंटे की इस बच्ची को शायद जन्मते ही कचरे में फेंक दिया गया था। वजन भी तय मानक से बहुत कम था। चींटियों ने काटना शुरू किया तो बच्ची रो उठी और इस तरह उसकी वहां मौजूदगी का पता चला। घटना ग्वालियर के हजीरा स्थित पीताम्बरा कॉलोनी के झलकारी बाई गर्ल्स कॉलेज के बाहर रविवार सुबह घटी।

पत्रकार श्री कौशल मुद्गल ने पा-लो ना को बताया कि सुबह करीब दस-साढ़े दस बजे एक बच्ची के कचरे के ढेर में पड़ा होने की सूचना मिली। बच्ची को जन्म के कुछ देर बाद ही वहां छोड़ दिया गया था। चीटिंयों के काटने के बाद जब बच्ची ने रोना शुरू किया तो आवाज सुनकर लोग उसकी तरफ दौड़े और उसे वहां से उठाया। पुलिस को सूचित किया गया। पुलिस ने तुरंत एंबुलेंस बुलवाई और उसे हॉस्पिटल भिजवाया।

श्री मुद्गल के मुताबिक, अस्पताल ले जाते हुए ही बच्ची की सांस उखड़ने लगी थी। मुरार अस्पताल के डॉक्टर्स ने उसे तुरंत एसएनसीयू वार्डल में भर्ती किया। डॉक्टर के हवाले से श्री मुद्गल ने बताया कि बच्ची का जन्म सुबह छह बजे के बाद हुआ था और उसका वजन मात्र 1.67 किलोग्राम था, जबकि नॉर्मल बच्चे के वजन तीन किलोग्राम होना चाहिए। उसे काफी इन्फेक्शन भी है, जो फेफड़ों तक पहुंच चुका है और इसी की वजह से उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। उसकी क्रिटिकल स्थिति को देखते हुए डॉक्टर उस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।

कौशल के मुताबिक, पुलिस इस केस को लेकर बहुत संजीदा नहीं है। यदि होती, तो आस-पास के अस्पतालों के रजिस्टर जरूर खंगालती। बच्ची को चाईल्डलाईन को सौंपकर ही पुलिस ने अपने कर्त्तव्य की इतिश्री समझ ली है।

टीम पा-लो ना बच्ची को तुरंत अस्पताल भेजने के लिए पुलिस टीम की सराहना करती है, लेकिन साथ ही इस केस में उनके ढीले-ढाले रवैया के भी खिलाफ है। टीम का यह भी मानना है कि जागरुकता कार्यक्रम ठीक से नहीं चलाए जा रहे, जबकि सबसे ज्यादा जरूरत इसी बात की है कि लोगो को बताया जाए कि उनके पास अपने बच्चों को सरेंडर करने का विकल्प मौजूद है। उन्हें ये समझाना होगा कि वे बच्चों को फेंककर कानून की नजर में दोषी न बनें, बल्कि अपने बच्चों को सरेंडर कर दें,यदि वे उन्हें पालना नहीं चाहते हैं तो। पा-लो ना को ये भी लगता है कि बच्चों से जुड़ी एजेंसियों को संवेदनशील बनाने के लिए भी कई स्तरों पर काम करने की जरूरत है। इसके अलावा मीडिया को मिलकर आवाज उठानी होगी, ताकि सोए हुए सिस्टम को जगाया जा सके।
15 जुलाई 2018 ग्वालियर, मध्य प्रदेश (F)

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