न जाने वह महिला उस बच्ची की कौन थी, जिसने बाईक पर बैठे-बैठे एक छोटी सी बच्ची को झाड़ियों की तरफ उछाल दिया। एक कपड़े में लिपटी वो अबोध जब जमीन से टकराई तो बस इतनी गनीमत रही कि उसकी जान नहीं गई। घटना सदर थाना क्षेत्र के सुकुमारपुर के पास गुरुवार को घटी।
जमुई के पत्रकार श्री राजेश की सूचना पर पा-लो ना ने सुपौल के पत्रकार श्री नवीन से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि किशनपुर रोड में आईडीबीआई बैंक के आगे गुरुवार को खेत में कुछ लोग काम कर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक बाईक सड़क किनारे रुकी। उस पर सवार महिला-पुरुष ने इधर-उधर देखा, जैसे सुनिश्चित करना चाह रहे हों कि कोई उन्हें देख तो नहीं रहा। इसके बाद कपड़े में लपेटकर कुछ झाड़ियों की ओर फेंका और तुरंत वहां से चले गये। कौतुहलवश यह देखने के लिए कि उन्होंने क्या झाड़ियों में फेंका है, खेत में काम कर रहे लोग उस चीज के पास पहुंचे और देख कर दंग रह गए कि ये एक नवजात बच्ची थी। वह दर्द में थी और सांस ले रही थी।
तुरंत सदर थाना पुलिस को सूचित किया गया और कुछ ही मिनटों के अंदर बच्ची को अस्पताल ले जाया गया। उसे चोट लगी थी। कमर के आस-पास और आंख में भी सूजन थी। इसके साथ-साथ इन्फेक्शन भी हो गया था। इसलिए उसे आईसीयू में रखा गया।
सीडब्लूसी सुपौल श्री भगवान जी पाठक ने पा-लो ना को बताया कि बच्ची के बेहतर ईलाज के लिए उसे गुरुवार को ही दरभंगा डीएमसीएच में रेफर कर दिया गया, जहां उसे नियोनेटल केयर यूनिट में रखा गया है। बच्ची की स्थिति क्रिटिकल है, काफी चोट लगी है। घटनास्थल पर मौजूद लोगों का मानना था कि बच्ची का जन्म रात में ही हुआ होगा और बेटी होने की से उसे फेंक दिया गया।
वहीं पा-लो ना का मानना है कि बच्ची को फेंकने का कारण कुछ भी हो सकता है। वह अनचाहा बच्चा हो सकती है, अविवाहित मां की संतान हो सकती है या फिर कन्या होने की वजह से भी उसे फेंका जा सकता है। हम इस कृत्य की कड़ी निंदा करती है और साथ ही हमें अफसोस भी है कि सरेंडर का विकल्प होने के बावजूद लोग मासूम शिशुओं को यहां वहां फेंक देते है, जो उनके लिए जानलेवा होता है।
05 जुलाई 2018 सुपौल, बिहार (F)