कानपुर के स्वरूप नगर स्थित हैलट हॉस्पिटल में एक महिला ने 28 जून 2017 को एक बच्ची को जन्म दिया, लेकिन फिर अचानक ही वह वहां से गायब हो गई। उसने हॉस्पिटल में अपना नाम-पता भी गलत दर्ज
करवाया था, जिसकी वजह से उस महिला को ढूंढा नहीं जा सका। बच्ची बीमार थी, इसलिए उसे बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. यशवंत की निगरानी में उपचार के लिए छो़ड़ दिया गया। अब स्वस्थ होने के उपरांत 8 नवंबर 2017
को करीब चार माह की उम्र में उसे कानपुर के सुभाष चिल्ड्रेन दत्तक ग्रहण ईकाई, नौबस्ता में आश्रय मिला है। इस पूरी प्रक्रिया में जिला प्रोबेशन अधिकारी श्रीमती श्रुति शुक्ला, जिला बाल संरक्षण ईकाई की अधिकारी दीप्ति
सक्सेना व रंजना गुप्ता का विशेष सहयोग रहा। सुभाष चिल्ड्रेन दत्तक ग्रहण ईकाई के प्रबंधक श्री कमल कांत तिवारी जी ने बताया कि नगर में नवजात शिशुओं को त्यागने की घटनाएं आए दिन प्रकाश में आ रही हैं। उन्होंने
भी ये अपील की है कि बच्चों को त्यागने की बजाय उसे संस्था को सौंप दे। टीम पा-लो ना भी यही अपील करती है कि बच्चों को सुरक्षित स्थान पर उपयुक्त अधिकारी को सौंप दे। बच्चों को कही भी छोड़ देना गलत है।
इस मामले में हम उस मां के शुक्रगुजार हैं, जिसने अपनी बच्ची को असुरक्षित माहौल में छोड़ने की बजाय हॉस्पिटल में छोड़ने का विकल्प चुना। समाज के बतौर हमें महिलाओं को उस डर से भी मुक्त करना होगा, जो उन्हें
अपने ही बच्चों को त्यागने के लिए विवश करता है।
28 जून 2017 कानपुर, उत्तर प्रदेश (F)