लोग उसकी स्थिति देखकर सन्न थे। भावनाएं इतनी आहत थीं कि उन्होंने कविता का रूप ले लिया। लेकिन उस छोटे से लड़के को उस नदी से निकालने का साहस किसी में नहीं था। शायद उसकी वीभत्स हालत उन्हें आगे बढ़ने से रोक रही थी। उनकी परेशानी दूर करने के लिए जब पुलिस भी नहीं आई तो अंततः कुत्तों को ही आगे आना पड़ा। और फिर सब कुछ खत्म हो गया। घटना बुधवार सुबह गिरिडीह के मुफस्सिल थाना क्षेत्र स्थित उसरी नदी के शीतलपुर अरगाघाट में घटी।
गिरिडीह के श्री प्रभाकर से घटना की जानकारी मिली तो पा-लो ना ने इस घटना के गवाह रहे श्री महेश अमन और पत्रकार श्री प्रभाकर आलोक से बातचीत की। सबने घटना का जो ब्यौरा दिया, उसके अनुसार, सुबह करीब पांच-साढ़े पांच बजे घूमने के लिए निकले लोगों की नजर नदी के पत्थरों में अटके नवजात शिशु के शव पर पड़ी। उस वक्त कौए उसके ऊपर बैठे थे और उसे अपनी चोंच से नोंच रहे थे। उसकी आंख को नुकसान पहुंचाया जा चुका था। कुछ ही देर में बच्चे का फोटो लोकल व्हॉट्सअप ग्रुप्स में घूमने लगा।
उसकी हालत से द्रवित हो महेश अमन जी ने इस पूरी घटना को अपने शब्दों में पिरो डाला और साथ ही बच्चे का वीडियो बनाकर मीडिया के साथियों को भी भेज दिया। उन्होंने कहा कि आज समाज, भगवान से भी बड़ा हो गया है, जिसके डर से लोग अपनी औलाद को भी मारने से बाज नहीं आ रहे। उनकी अपील पर मुफस्सिल थाने को सूचना भेजी गई, लेकिन पा-लो ना को बताया गया कि थाने से कोई भी पुलिसकर्मी घटनास्थल पर नहीं पहुंचा। आस-पास के लोगों ने बच्चे को दफनाने की बात तो की, लेकिन कोई भी उसे अंजाम तक नहीं ले जा सका। शायद पुलिस केस में फंसने का खौफ रहा हो।
फिर बच्चे का क्या हुआ, ये पूछने पर करीब-करीब सभी का यही कहना था कि जानवर ले गए। एक छोटा सा बच्चा, जिसका वजूद था, वह अब अस्तित्वहीन हो चुका था। कुछ दिनों बाद लोग इस घटना को भूल जाएंगे और पुलिस-प्रशासन के लिए तो ये जैसे कभी था ही नहीं।
प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से पा-लो ना को बताया गया कि बच्चे को शायद जीवितावस्था में ही पुल से फेंका गया था और पत्थरों से टकराकर उसकी मौत हो गई। करीब 2-3 माह के इस बच्चे की मौत का सच अब जानवरों के पेट में है। कभी नहीं मालूम चलेगा कि उसके साथ क्या हुआ।
हम बार-बार इस तरह की घटनाओं से आहत होते हैं। गिरीडीह में इससे पहले 13 अगस्त और 29 जुलाई को भी दो शिशु मिले थे, जिनमें से जुलाई को मिली बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। गिरिडीह में हाल के दिनों में ये घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। इन्हें रोकने के लिए वहां पुलिस प्रशासन को सख्त कदम उठाने ही होंगे।
22 अगस्त 2018 गिरीडिह, झारखंड (M)