उसे जन्म लिए दो माह भी नहीं बीते थे कि उसकी सांसे रोक दी गईं। उसे लाकर नदी किनारे पटक दिया गया। वह गुहार भी नहीं लगा सकती थी बचाने की। बेजान उस नवजात के गले में काले रंग का एक रिबन जैसा कुछ बंधा हुआ था, जो उसकी हत्या की गवाही दे रहा था। ऐसा किसने किया, ये एक अहम सवाल है- क्या उसके जन्मदाताओं ने, उसके अपरहरणकर्ताओं ने या ये कोई और था। घटना बुधवार सुबह रांची के नामकुम थाना क्षेत्र के श्मशान घाट के पास घटी।
पत्रकार कैली किसलय से मिली सूचना पर टीम पा-लो ना ने जब पता किया तो पत्रकार राजेश कुमार, प्रशांत और इमरान ने घटना की पुष्टि की। इसके मुताबिक, नामकुम थाना क्षेत्र अंतर्गत स्वर्णरेखा पुल के नीचे श्मशान घाट के गणेश राम की सूचना पर पुलिस सुबह करीब 9.30-10 बजे घटनास्थल पहुंची, जहां नवजात बच्ची का शव पड़ा हुआ था।
गणेश रोजाना की तरह शौच के लिए सुबह 07 बजे जा रहे थे तो उन्हें स्वर्णरेखा नदी के किनारे एक नवजात बच्ची का शव दिखा। वह घबरा गए और तुरंत पुलिस के टोल फ्री 100 नम्बर को डायल कर दिया। 19 नम्बर पेट्रोलिंग टीम मौका ए वारदात पर पहुँची। जब गश्ती दल के जवान सुभाष सोनार ने नवजात बच्ची को पानी में देखा तो उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने तुरंत अपनी नई धोती से नवजात के शव को ढक दिया। उसे कोई जानवर नोंच न ले, इसलिए उन्होंने तत्काल ही अपनी जेब से 200 रुपये निकाल कर ऑटो से शव को पोस्टमार्टम के लिये रिम्स भेज दिया।
टीम पा-लो ना ने जब इस संदर्भ में नामकुम थाने के उन एएसआई से बात की, जो घटनास्थल गए थे तो उन्होंने बच्ची की हत्या की आशंका से इनकार किया। उनके मुताबिक या तो बच्ची की नॉर्मल डेथ के बाद उसे वहां लाकर छोड़ दिया गया है या फिर यह अविवाहित मां की संतान है।
वहीं, तस्वीरों को देखने से टीम पा-लो ना को ये विश्वास है कि ये मामला हत्या का है। इसके कई कारण हो सकते हैं- जैसे उसका लड़री होना, परिवार की आर्थिक स्थिति, इंफेंट (चाइल्ड ट्रेफिकिंग) आदि। हाल ही में मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा नवजात बच्चों की तस्करी का खुलासा हुआ है। ये भी संभव है कि इस हत्या के तार उस केस से जुड़े हों।
पा-लो ना का स्पष्ट मानना है कि इस मामले में अविवाहित मां को दोष नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उन मामलों में कोई भी मां एक माह तक शिशु को अपने पास नहीं रखती। जो भी वजह हो, केस दर्ज कर जांच होने से ही सामने आएगी, लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि ईमानदारी और ततपरता से जांच हो।
इसके साथ ही टीम सुभाष सोनार जैसे संवेदनशील पुलिसवालों की शुक्रगुजार है, जिन्होंने नेक काम किया और बच्ची को जानवरों का शिकार होने से बचा लिया। ऐसा व्यवहार यदि हर व्यक्ति करने लगे, तो इन मासूमो की दुर्गति नहीं हो।
11 जुलाई 2018 रांची, झारखंड (F)