उसकी किलकारियां रूदन में बदल चुकी थी। वह अस्पताल कैंप में ही मौजूद झाड़ियों में पड़ी थी और लगातार रो रही थी। यह उसकी भूख थी या झाड़ी की चुभन, जिसने उसके रूदन को रुकने नहीं दिया और अंततः उसकी करुण पुकार सुन ली गई। घटना गोपालगंज स्थित सदर अस्पताल के ओपीडी एवं लेबर वार्ड के कैंपस में हनुमान मंदिर के पीछे भांग की झाड़ियों में रविवार को घटित हुई।
पत्रकार श्री धर्मेंद्र रस्तोगी द्वारा घटना की जानकारी मिलने पर टीम पा-लो ना ने गोपालगंज के पत्रकार श्री संजय अभय से संपर्क किया तो उन्होंने इसका विस्तृत ब्यौरा दिया। इसके मुताबिक, रविवार को सदर अस्पताल के ओपीडी एवं लेबर वार्ड के कैंपस में हनुमान मंदिर के पीछे भांग की झाड़ियों में से एक नवजात बच्चे के रोने और सिसकने की आवाज आ रही थी, जिसे वहां से गुजर रहे सिक्योरिटी गार्ड प्रभारी सुभाष मांझी ने सुना और उनकी नजर उस शिशु पर पड़ी। यह एक बच्ची थी, जो बुरी कंडीशन में थी। उन्होंने तुरंत बच्ची को अपनी गोद में लेकर सदर अस्पताल के एसएनसीयू में इलाज के लिए भर्ती कराया। यही नहीं, उन्होंने इसकी जानकारी अस्पताल के मैनेजर अमरेंद्र सिंह एवं उपाधीक्षक पीसी प्रभात को दी। बच्ची को किसने वहां फेंका था, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। हालांकि कयास यही है कि बच्ची को उसके परिजनों द्वारा ही वहां फेंका गया होगा।
टीम पा-लो ना कोमल नवजात बच्चों को इस तरह असुरक्षित और अस्वस्थ हालातों में फेंकने के खिलाफ है। हमारा स्पष्ट मानना है कि बच्चों को इस तरह से फेंककर हम उनके जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर देते हैं। यदि बच्ची को वहां फेंकने की बजाय उसे किसी वार्ड में, किसी बैड पर छोड़ दिया गया होता या मंदिर में ही रख देते, तो बच्ची की इतनी बुरी हालत नहीं होती।
सबसे सही होता है बच्चे को किसी सक्षम अधिकारी को सौंप देना, जो बाल कल्याण समिति या चाईल्ड लाईन से जुड़े हों। इसके अलावा बच्चों को सौंपने के लिए पा-लो ना से भी संपर्क किया जा सकता है 9798454321 पर। इसलिए हम अपील करते हैं कि बच्चों को यूं ही नहीं फेंक दें। निर्भय रहें, आपकी पहचान उजागर नहीं होगी। हम आपके बच्चों को सही अधिकारियों तक पहुंचाते हैं, ताकि उन्हें बेहतर मेडिकल केयर और अच्छा परिवार मिल सके। हम पुलिस से भी ये अपील करते हैं कि वह बच्चों को फेंकने के हर मामले को दर्ज करे और जांच पूरी निष्पक्षता और तत्परता के साथ करे। बच्चों को फेंकना अपराध है और सौंपना कानूनसम्मत। खुद को यह जघन्य अपराध करने से रोकिए।
13 मई 2018गोपालगंज, बिहार (F)