यह एक सूखी नदी थी और उसी में वह बच्ची छोड़ दी गई थी। रात का समय था। नीरव अंधेरे में बच्ची के रोने की आवाज ने ग्रामीणों का ध्यान खींच लिया। घटना जौनपुर जनपद में रात नौ बजे बरसठी थाना अंतर्गत परियत गांव में हुई।
चाईल्ड वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष श्री अनिल कुमार यादव ने पा-लो ना को बताया कि बच्ची को परियत ग्राम में नहर में फेंक दिया गया था। उस वक्त वहां पानी नहीं था। गर्मी की वजह से सभी नहर सूखी हुई हैं। नहर किनारे ही गांव बसा हुआ है। रात नौ बजे के आस-पास ग्रामीणों ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी और तुरंत ही वहां लोगों का जमावड़ा लग गया। उन्होंने 100 नंबर पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और बच्ची को देखभाल के लिए स्थानीय दम्पति को दे दिया। बच्ची कुछ दिनों की प्रतीत होती है।
सुबह अखबारों के माध्यम से बाल कल्याण समिति की सदस्या सुश्री ममता श्रीवास्तव को घटना का पता चला तो उन्होंने परियत के ग्राम प्रधान श्री राम गुप्ता से बात की। इसके बाद समिति के अध्यक्ष श्री यादव ने भी बच्ची की सलामती के बारे में ग्राम प्रधान से बात की। प्रधान से ही उन्हें मालूम हुआ कि बच्ची सुदनीपुर निवासी किशन कुमार माली के पास है। इसके बाद बाल कल्याण समिति ने महिला हेल्पलाइन को बच्ची को लाने के निर्देश दिए। हेल्पलाइन की रश्मि मिश्र तथा रेनु पटेल ने बच्ची को बाल कल्याण समिति के सदस्य आनन्द प्रेम घन तथा सदस्य धनंजय कुमार सिंह के समक्ष प्रस्तुत किया। बच्ची का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। बच्ची पूरी तरह स्वस्थ थी। बच्ची को इलाहाबाद स्थित राजकीय बाल शिशु गृह में भेज दिया गया है।
इस मामले में बच्ची को वहां छोड़ने वाले के कृत्य को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता। अगर लोगों से पहले उस स्थान पर कोई आवारा जानवर पहुंच जाता तो सोचकर सिहरन होती है कि बच्ची का क्या होता। टीम पा-लो ना का मानना है कि इस मामले में केस दर्ज करवाकर जांच करवाना बहुत जरूरी है। जांच पड़ताल होने से दो उद्देश्य पूरे होंगे। एक तो पुलिस की पूछताछ लोगों में ये डर पैदा करेगी कि वह बच्चे को ऐसे ही कहीं भी नहीं छोड़ सकते हैं, यह दंडनीय अपराध है। जिससे भविष्य में उस इलाके में लोग ऐसा करने से तौबा करें। दूसरा, अगर जांच ईमानदारी से की जाए तो बच्ची के दोषियों तक पहुंचा जा सकता है। सबसे जरूरी है लोगों को इस अपराध के प्रति जागरुक करना।
21 मई 2018 जौनपुर, उत्तर प्रदेश (F)