भागलपुर के सुलतानगंज में एक नवजात बच्ची परित्यक्त अवस्था में मिली। उसे गंगा के घाट पर जिस तरह छोड़ा गया था, उससे यही लग रहा है कि छोड़ने वाली की मंशा उसे नुकसान पहुंचाने की नहीं थी, मगर बच्ची
को संबंधित अधिकारी को सौंपने का विकल्प पता नहीं होने की वजह से उन्होंने उसे घाट किनारे छोड़ दिया। सुलतानगंज के गोपाल रोड विषहरी स्थान स्थित गंगा घाट पर रखी बच्ची पर सुबह करीब नौ बजे गांव की एक महिला
उर्वशी देवी की नजर पड़ी। श्री आशीष मिश्रा की पत्नी उर्वशी देवी ने कपड़े में लिपटी एक दिन की उस अबोध बच्ची को वहां से उठाया और उसे सीधे रेफरल हॉस्पिटल ले गईं। वहां बच्ची का चैकअप करवाने के बाद वह उसे
अपने घर ले गईं। ऐसा बताया जाता है कि बच्ची को लेकर वह पुलिस थाने भी गईं थीं, जहां से उन्हें ही बच्ची की जिम्मेदारी सौंप दी गई। आज पा-लो ना द्वारा संबंधित ग्रुप में सूचना शेयर करने के बाद संबंधित अधिकारियों
ने उर्वशी देवी से संपर्क किया और बच्ची को उनसे ले लिया। इससे वह और उनके परिजन काफी दुखी हैं। बच्चे को बचाने वाले का, उसे अपने साथ रखने वाले का बच्चे के साथ एक स्वाभाविक जुड़ाव हो जाता है। इसलिए हम
अपने अभियान पा-लो ना के जरिए इस बात की भी बराबर अपील कर रहे हैं कि बच्चे को बचाने वाला, यदि बच्चे को पालने की इच्छा जाहिर करे, तो उसे बच्चे को पालने का अधिकार मिलना चाहिए। इसके लिए एडॉप्शन
पॉलिसी में जरूरी बदलाव किए जा सकते हैं। पा-लो ना के सामने ऐसे कई मामले आ चुके हैं, जहां बचाने वाले को बहुत गुहार लगाने के बाद भी बच्चा नहीं सौंपा गया, क्योंकि ये मौजूदा कानून के खिलाफ है। टीम पा-लो ना
एक बार फिर ये अपील करती है कि एडॉप्शन पॉलिसी में बदलाव किए जाएं और इस बार इसमें एडॉप्शन से जुड़े विभिन्न लोगों, विभिन्न चाईल्ड एक्टिविस्ट्स और बच्चों गोद लेने के इच्छुक माता-पिता को भी शामिल किया जाए
और एक व्यापक सर्वे के बाद ही इस कार्य को अंजाम दिया जाए।
18 नवंबर 2017भागलपुर, बिहार (F)