ये घटना उत्तर प्रदेश के सीतापुर में शनिवार की मध्य रात्रि घटी, जब बच्चे के रोने की आवाज सुनकर दीपक कड़कड़ाती ठंड में अपनी बुजुर्ग मां के साथ निकले और आवाज की दिशा में जाने पर टार्च की रोशनी में उन्हें कूड़े के उस ढेर से दो नन्हे पैर झांकते नज़र आये।
सीतापुर जनपद की विसवां तहसील के ग्राम पंचायत गुरगुजपुर स्थित अपने घर के अहाते में लेटे दीपक कुमार (42 वर्ष) को रात के एक बजे किसी बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी, जिस पर दीपक ने अपनी मां 60 वर्षीय श्यामपति को बुलाया और आवाज की दिशा में गए तो देखा कि आवाज रामभूषण के कूड़े के ढेर से आ रही है। टार्च जलाने पर घुरे में दबी बच्ची के पैर दिखाई दिए।
दीपक और उसकी माँ ने तुरन्त उसे बाहर निकाला। बच्ची की शरीर से जन्मनाल भी लिपटी हुई थी। ठंड के कारण उसका शरीर अकड़ गया था। इसलिए
रात भर आग जलाकर नवजात बच्ची को ताप दिया गया। सुबह ये सूचना आस पास के गांवों में फैल गयी, जिस पर लोग उस बच्ची को देखने के लिए जुटने लगे।
रविवार करीब तीन बजे पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर गयी और 108 एम्बुलेंस से बच्ची को अस्पताल ले आयी। बच्ची का वजन मात्र 2 किलो है।
इस खबर में अच्छी बात यही है कि बच्ची सुरक्षित है और अब मीडिया के ज़रिए ये बात उठने लगी है कि बच्चों को गोद लेने के नियमों व प्रक्रिया को थोड़ा आसान बनाने की ज़रूरत है…
06 जनवरी 2018 सीतापुर, उत्तरप्रदेश (F)