वह बहुत प्यारी है, स्वस्थ भी। जो देखता है, गोदी में लेने को मचल जाता है। उसे गोद लेने के लिए कई लोगों ने आवेदन भी दे दिया है। लेकिन जिसकी कोख से वह पैदा हुई, वह उसे अपनाने को तैयार नहीं। हो सकता है कि उसने नजर भर बच्ची को देखा भी न हो, देखती तो शायद छोड़ कर नहीं जा पाती। घटना धनबाद के पीएमसीएच में बुधवार को घटी।
एक नवयुवती, उम्र करीब 18 साल, सोमवार मध्य रात्री 11 बजे के समीप धनबाद स्थित पीएमसीएच में आई। वह अकेली थी, या उसके साथ कोई परिजन भी था, इसे लेकर और घटना को लेकर भी तरह तरह की बातें मीडिया और निजी बातचीत में निकल कर आए हैं। कुछ के मुताबिक, नवयुवती के साथ परिजन भी थे, जो उसकी बड़ी मां/मां और पिता भी बताए जा रहे हैं। इनके मुताबिक, उस लड़की को पेटदर्द की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर को शक हुआ और उन्होंने जांच की तो पता चला कि वह लड़की गर्भवती है और गर्भ का समय भी पूरा हो गया है, डिलीवरी कभी भी हो सकती है। तब रात करीब एक बजे उस लड़की ने एक बच्ची को जन्म दिया।
कुछ अन्य लोगों के मुताबिक उसका प्रसव करवाने के लिए ही उसे अस्पताल में लाया गया था। जहां उसने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया, एक दिन उसके साथ बिताया और फिर बुधवार दोपहर अचानक वहां से गायब हो गयी।
पता ये भी चला है कि वह जाने से पहले व्यक्तिगत मेडिकल रिपोर्ट में ये लिखकर गई है कि वह बच्ची प्रेम संबंधों का नतीजा है, जिसे उसका परिवार अपनाने के लिए तैयार नहीं है और वह खुद इस स्थिति में नहीं है कि बच्ची को पाल सके, इसलिए वह उस बच्ची को वहां छोड़कर जा रही है। नीचे उसने अपना साईन भी किया है।
धनबाद की डीसीपीओ श्रीमती साधना कुमारी और पत्रकार श्री राजकुमार ने पा-लो ना को बताया कि उस लड़की ने अस्पताल में एडमिट होने से पहले अपना पता कतरास रोड, झरिया लिखवाया था, जो कि गलत निकला। दर्ज करवाए गए फोन नंबर भी सही नहीं है। वह लड़की किसी अच्छे स्कूल की छात्रा बताई गई है।
अच्छे स्कूल की छात्रा का ट्रक ड्राईवर से विवाह तय होना पचता नहीं है, जैसा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि मंगेतर से बने आंतरिक संबंधों की वजह से बच्ची का जन्म हुआ। मंगेतर की एक दुर्घटना में मौत होने के कारण वह और उसका परिवार बच्ची को नहीं अपना सका।
कारण कुछ भी रहा हो, नन्ही सी बच्ची का सच इतना है कि उसे त्याग दिया गया है, वो भी बिना उसके कोई अपराध किए। लेकिन इस पूरे मामले का सबसे राहतदायक पहलू यही है कि उसे किसी गली, सड़क या नाली में नहीं फेंका गया, न ही किसी डस्टबिन में, बल्कि उसे सुरक्षित तरीके से अस्पताल में ही छोड़ दिया गया। ये सही है कि अपनी मां की गोद से ज्यादा सुरक्षित, आरामदेह और सुकूनदायक जगह किसी बच्चे के लिए दूसरी नहीं हो सकती, लेकिन यदि किसी भी कारण से वह गोद मयस्सर न हो सके तो उसे किसी दूसरी गोद में डालने लायक जरूर छोड़ देना चाहिए।
फिलहाल बच्ची हजारीबाग की स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी में है, जहां एक निश्चित समय के बाद उसे किसी अच्छे परिवार को गोद दे दिया जाएगा। पा-लो ना टीम दुआ करती है कि बच्ची का भविष्य सुखद हो।
04 अप्रैल 2018 धनबाद, झारखंड (F)