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Home    ठंड से कांप रही थी वह नवजात बच्ची…

Latest News On Infanticide

ठंड से कांप रही थी वह नवजात बच्ची…

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छोटी सी उस बच्ची को उसके जैसे अन्य बच्चों की तरह झाड़ियों में छोड़ दिया गया था। छोड़ने का अंदाज कुछ-कुछ फेंकने जैसा था। चर्चा तो इस बात की भी है कि एक बोरे में बंदकर उसे पेड़ से बांध दिया गया था। घटना जामा थाना क्षेत्र के सिमरा पंचायत के बांसजोरा गांव में सोमवार शाम 04-4.30 के आसपास घटी, लेकिन बच्ची को तब तक कोई मेडिकल केयर उपलब्ध नहीं करवाई गई, जब तक पा-लो ना ने इसके लिए पहल नहीं की।

पा-लो ना को घटना की जानकारी पत्रकार श्री पंचम झा से साढ़े पांच बजे के आस-पास मिली। उन्होंने बताया कि एक बच्ची को ग्रामीणों ने झाड़ियों से बरामद किया है। एक चरवाहे ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी। वहां लोगों की भीड़ लग गई है और पुलिस के आने का इंतजार किया जा रहा है। कोई इलाज भी अभी तक बच्ची को नहीं मिला है। बच्ची वीडियो में ठंड से कांपते नजर आ रही थी। तब पा-लो ना ने उनसे निवेदन किया कि पहले बच्ची को जल्दी से मेडिकल केयर उपलब्ध करवाईए, क्योंकि उसे मिले डेढ़ घंटे से ज्यादा समय बीत चुका है और अब तक उसे प्राथमिक चिकित्सा तक नहीं मिली है।

श्री झा ने इस संदेश को आगे गांव तक पहुंचा दिया। इसी दौरान जामा थाना प्रभारी फागो होरो भी घटनास्थल पर पहुंच गए और बच्ची को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जामा में ले जाया गया। स्थानीय पत्रकार श्री बीरबल ने पा-लो ना को बताया कि बच्ची के शरीर पर कुछ निशान मिले हैं, जो कीड़ों या चींटियों के खाने से बने हो सकते हैं।

डीसीपीओ श्री प्रकाश चंद्र ने पा-लो ना को पूछने पर बताया कि बच्ची का जन्म करीब चार घंटे पहले ही हुआ था। गर्भनाल भी उसके साथ ही लगी थी, जब वह मिली। बच्ची फिलहाल इलाजरत है।

वहीं, पूर्व सीडब्लूसी सदस्य श्री अमरेंद्र कुमार ने बताया कि अंचल अधिकारी आलोक वरण केसरी के सहयोग से बच्ची को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बच्ची के साथ साथ आंगनबाड़ी सेविका, सहिया और वह महिला भी अस्पताल पहुंची थी, जिसे बच्ची मिली थी। उस महिला ने ही बताया कि बच्ची बोरे में बंद पेड़ से बंधी मिली थी।

पा-लो ना को ये बार-बार महसूस होता है कि शिशु परित्याग के मुद्दे को जिस गंभीरता से लिया जाना चाहिए, झारखंड राज्य के अधिकारी उस तरह से नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि बार-बार इन घटनाओं को होने के बावजूद इनके लिए कोई कार्यक्रम या योजना नहीं बनाई जा रही। प्रदेश में पा-लो ना के अलावा ऐसी कोई मुहिम या संस्था भी नजर नहीं आती, जिनके साथ जुड़कर ज्यादा से ज्यादा जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जा सकें।
05 नवंबर 2018 दुमका, झारखंड (F)

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