शाम चार बजे का समय था और तितली तूफान की वजह से इलाके में दोपहर से ही बारिश हो रही थी। ऐसे समय में स़ड़क किनारे पेड़ के नीचे रखे झोले में एक नवजात बच्ची मिली। बच्ची को जन्मे ज्यादा वक्त नहीं हुआ था। उसे पीएचसी ले जाकर फर्स्ट एड दिलवाई गई।
उसके बाद अगले कुछ घंटों तक उस बच्ची को कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं मिला, न ही पुलिस या मुखिया ने बाल कल्याण समिति को इस बारे में सूचना देने की जरूरत समझी। सिस्टम की इस लापरवाही ने बच्ची की जान ले ली। घटना गढ़वा के रंका प्रखंड में गोदर माना मुख्य मार्ग पर सोनदाग पंचायत के हुरदाग गांव के नजदीक स्थित सिरोई मोड़ पर गुरुवार शाम करीब चार बजे घटी।
चाईल्ड एक्टिविस्ट श्री अर्जुन ने पा-लो ना को बताया कि रंका में एक नवजात शिशु मिला है, जिसे उनकी संस्था के सदस्य और गांव की मुखिया ने अपने संरक्षण में ले लिया है। वे उसे पीएचसी ले गए हैं। वहीं, पत्रकार श्री आशीष अग्रवाल ने जो जानकारी दी, उसके मुताबिक, रंका के सिरोई मोड़ के पास पेड़ के नीचे झोले में एक नवजात बच्ची मिली। बच्ची को देखकर लगता था कि उसे जन्म लिए ज्यादा वक्त नहीं बीता है। उसके शरीर पर चींटियां लगना शुरू हो गईं थीं कि कुछ राहगीरों की नजर उस पर पड़ी और उन्होंने मुखिया मालती देवी को सूचना दी। जिस पर वह उसे रंका अस्पताल ले गईं और प्राथमिक चिकित्सा दिलवाई। इससे पहले उन्होंने बच्ची को साफ भी किया और उसकी चींटियां भी हटाईं।
पुलिस को भी सूचना दी गई। ऐसा सुनने में आया है कि मालती देवी खुद इस बच्ची को अपने पास रखने की इच्छुक थीं। शुक्रवार सुबह तक भी बच्ची गांव में ही थी, उसे इलाज नहीं मुहैया करवाया गया था।
पा-लो ना द्वारा इस संबंध में पूछताछ करने के बाद सीडब्लूसी और डीसीपीओ से बात की गई और उसे गढ़वा लाने की प्रक्रिया आरंभ हुई। चाईल्ड वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष श्री उपेंद्र नाथ दुबे के मुताबिक, उन्हें सुबह 11 बजे घटना की सूचना मिली। इसके तुरंत बाद उन्होंने बच्ची को अस्पताल भिजवा दिया, जहां बच्ची की मौत हो गई।
पा-लो ना का मानना है कि यदि इस संबंध में लापरवाही नहीं बरती जाती और उसे घर में रखने की बजाय किसी अच्छे अस्पताल में रखा गया होता तो बच्ची आज स्वस्थ वह सुरक्षित होती और उसे यूं असमय अपनी जान न गंवानी पड़ती।
पा-लो ना सिस्टम की इन खामियों को दूर करने के लिए प्रयासरत है ताकि बच्चों के जीवन से खेलने वालों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की जा सके, चाहे यह कोई गैर सरकारी संस्था हो, सरकारी अधिकारी हो या कोई अस्पताल।
पा-लो ना ने समिति अध्यक्ष से इस मामले में आईपीसी की धारा 315, 302 और जेजे एक्ट 75 के तहत मामले को दर्ज करवाने का आग्रह किया है। इसके साथ ही बाल संरक्षण आयोग से इस मामले व इसी तरह के तीन अन्य मामलों का संज्ञान लेने का अनुरोध भी किया है।
11 अक्तूबर 2018 गढ़वा, झारखंड (F)