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Home    सुनो, क्या तुम अपनी मौत की गवाही देने आओगे…

Latest News On Infanticide

सुनो, क्या तुम अपनी मौत की गवाही देने आओगे…

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वह मिट्टी में दबा हुआ था। सिर और पैर का कुछ हिस्सा बाहर निकले हुए। उसके पास ही पड़ी थी एक साड़ी और एक झोला, जिससे लोग बिना किसी तफ्तीश के इस नतीजे पर पहुंच गए कि बच्चे को वहां दफनाने वाली उसकी मां होगी। घटना बोकारो के जरीडीह थाना क्षेत्र की है।

स्थानीय पत्रकार श्री विप्लव ने बताया कि जरीडीह थाना क्षेत्र के जैनामोड़ फुसरो सड़क के खुटरी पंचायत स्थित मंगलाडीह गांव जाने वाली कच्ची सड़क से कुछ दूरी पर एक खेत में रविवार को एक नवजात शिशु का शव मिला। किसी राहगीर ने देखा कि सिर और पैर के कुछ हिस्से को छोड़कर उसका पूरा शरीर मिट्टी में दबाया हुआ था। आग की तरह फैली ये सूचना मुखिया के पति सुरजन मरांडी तक भी पहुंची, जिन्होंने जरीडीह थाना प्रभारी श्री रूपेश कुमार दुबे को इस संबंध में सूचित किया।

ग्रामीणों का मानना है कि बच्चे को जीवित ही शनिवार को रात्रि मिट्टी में दफना दिया गया था और उसका मुंह इसलिए बाहर छोड़ दिया गया था, ताकि वह सांस ले सके। इसलिए उसके मुंह और नाक के पास की मिट्टी को भी थोड़ा हटाया गया था। उनका ये भी मानना है कि बच्चे ने जब पैर चलाए होंगे तो उससे उसके पैरों के पास की मिट्टी भी हट गई होगी। अगर किसी जानवर ने ऐसा किया होता तो बच्चे के शरीर पर कहीं तो खरोंचों के निशान होते।

हालांकि पा-लो ना के साथ बातचीत में थाना प्रभारी श्री रूपेश कुमार दुबे ने इन संभावनाओं से इनकार किया। उनके मुताबिक, बच्चे की सूचना मिलते ही उन्होंने सबसे पहले चाईल्ड वेलफेयर कमेटी के श्री प्रभाकर कुमार को फोन किया कि बच्चे का क्या किया जाए। तब श्री प्रभाकर के कहे मुताबिक, उन्होंने केस दर्ज कर बच्चे को वहीं पास में दफना दिया। श्री प्रभाकर का इस संबंध में कहना है कि हाल में इन घटनाओं में बहुत तेजी आई है, जो कि सामाजिक रिश्तों में ह्रास का नतीजा है। इस दिशा में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करने की जरूरत है, ताकि लोगों को इस संबंध में जागरुक किया जा सके।

मालूम हो कि जीवित परित्यक्त नवजात शिशुओं के मामले में कई सरकारी और गैर सरकारी संगठन कार्यरत हैं, जबकि मृत नवजात शिशुओं के परित्यक्त अवस्था में मिलने पर अक्सर पुलिस भी बहुत असमंजस में पड़ जाती है, क्योंकि इन बच्चों के लिए आश्रयणी फाउंडेशन को छोड़कर कोई संस्था फिलहाल कार्य करती नजर नहीं आ रही है। समाज में तेजी से बढ़ती इन घटनाओं को देखकर लगता है कि आज इस मुद्दे पर भी कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं की जरूरत है।
04 फरवरी 2018 बोकारो, झारखंड (M)

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