झारखण्ड में अब तक राज्य सरकार ने शिशु हत्या और शिशु परित्याग की घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया है. परिणाम स्वरुप आए दिन राज्य के कोने-कोने से इन घटनाओं की खबर मिलती रहती है. इसी कड़ी में एक
बार फिर एक परीतज्ञ नवजात पलामू के छत्तरपुर के मंदया नदी पास मिला है. सोमवार सुबह पलामू के छत्तरपुर के मन्दया नदी पास सड़क किनारे एक नवजात बच्ची एक कपड़े में लिपटी हुई लावारिस अवस्था में पायी गयी.
नवजात ऐसी जगह पड़ा हुआ था जहाँ किसी-ना-किसी की नज़र उस पर पड़ती ही. शायद उसके अपने चाहते थे कि कोई उस की परवरिश कर ले. मन्दया गांव के लोगों ने इस घटना की सूचना स्थानीय पुलिस को दी. मौके
पर पहुंची पुलिस ने स्थानीय लोगों की सहायता से नवजात की जान बचाई. मन्दया गांव की ही एक स्थानीय महिला ने उस मासूम को गोद लेने की इच्छा जाहिर की तो उसे उस महिला के हवाले कर दिया गया. स्थानीय
अस्पताल में प्राथमिक इलाज के बाद डॉक्टरों ने नवजात को बिलकुल स्वस्थ बताया और इस बात की भी पुष्टि की कि उस की उम्र एक दिन की है. बताते चलें कि जिस प्रकार से इस मामले में पुलिस ने नवजात को एक
स्थानीय महिला को परवरिश के लिए लिए सौंप दिया. यह कानूनन एक अपराध है. पुलिस को Central Adoption Resource Authority के नियमानुसार CWC को इस घटना कि सूचना देनी चाहिए थी
और अज्ञात के ख़िलाफ़ FIR दर्ज कर मामले की जांच करनी चाहिए थी. बता दें कि CARA बचाने वाले को पालने का अधिकार नही देता है। cara के इस नियम का पालोना टीम विरोध करती है, और जल्द ही इसे
कोर्ट में चैलेंज करने वाली है।
25 सितम्बर 2017 पलामू, झारखण्ड (F)