- सारण की झाड़ियों में गर्भनाल सहित मिली बच्च
टहलने निकले ग्रामीण तो मासूम पर पड़ी नज़र
17 फरवरी 2022, गुरुवार, छपरा, बिहार।
(इंटर्न)
एक पुराने, कुछ फ़टे कम्बल में लिपटी झाड़ियों में घास के बिछौने पर लेटी थी वो मासूम बच्ची। उसके आसपास ही पड़ा था सफेद रंग का एक बड़ा सा पॉलीथिन और चटक गुलाबी रंग का एक दुपट्टा।
यह कहना मुश्किल है कि उस दुपट्टे और पॉलिथीन का बच्ची से किसी तरह का कोई ताल्लुक था या नहीं। शायद उसके रोने की आवाज ने तालाब पर घूमने आए लोगों का ध्यान खींचा होगा।
इस घटना के तार जुड़े हैं बिहार के सारण जिले से, जहां रसूलपुर थाना क्षेत्र के एकमा प्रखंड के नोवारी गांव इलाके में बुधवार की सुबह एक नवजात बच्ची मिली। पालोना को घटना की सूचना चाइल्ड लाइन समन्वयक श्री विकास कुमार मिश्रा से मिली। थाना प्रभारी इंस्पेक्टर रामचंद्र तिवारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने पूरी जानकारी दी।
इसके अनुसार, कुछ ग्रामीण प्रातः काल में टहलने निकले तो उन्होंने बच्ची को देखा और कॉल कर पुलिस को सूचना दी। फिलहाल बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है और जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी की अनुमति से जिले के सदर अस्पताल में एसएनसीयू में भर्ती है। अच्छी बात यह है कि ग्रामीणों ने जैसे ही पुलिस को सूचना दी, देर किए बिना पुलिस वहां पहुंची और बच्ची को एकमा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले गई, जो गांव से 7-8 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
किसने क्या कहा
हमें बच्ची की जानकारी पुलिस से मिली थी। तो मैं तुरंत घटनास्थल पर पहुंचा। तब तक पुलिस उसे लेकर अस्पताल पहुंच चुकी थी और एएनएम के द्वारा बच्ची की गर्भनाल कटवाकर सफाई कराई जा रही थी। यह बच्ची उस गांव से आधा किलोमीटर बाहर की तरफ एक पोखर के किनारे प्लास्टिक (सीमेंट रखने वाले) के बोरे के अंदर मिली। बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है, लेकिन बाल संरक्षण पदाधिकारी के आदेश से एसएनसीयू में भर्ती है। सावधानी के तहत उसे 1 से 2 दिन के लिए भर्ती कराया गया है।
विकास कुमार मिश्रा, चाइल्ड लाइन, सारण, बिहार।
ग्रामीणों से हमें सूचना मिली। हम तत्काल मौके पर पहुंचे। तब तक वहां लोगों की भीड़ जमा हो चुकी थी, लेकिन बच्ची तब भी घास में ही थी।
हमारे लिए पहली प्राथमिकता उसे बचाने की थी। वो जिस हालत में मिली थी, ऐसा लग रहा था कि जन्म देने के तुरंत बाद उसे वहां छोड़ दिया गया है। उसे साफ नहीं किया गया था खून उसके शरीर पर लगा हुआ था गर्भनाल भी नहीं काटी गई थी। हम उसे एकमा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। उसी दौरान चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचना दे दी।
इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। क्योंकि इस तरह की घटनाओं में कोई एफआईआर दर्ज नहीं होती है। हालांकि इसमें सनहा की गई है। हमारी टीम में मेरे साथ संजीव कुमार (ASI) व सशस्त्र बल सिपाही इत्यादि मौजूद थे।
इंस्पेक्टर रामचंद्र तिवारी, थाना प्रभारी रसूलपुर, सारण, बिहार।
पालोना की सिफारिश
इस मामले में आईपीसी 317 के साथ आईपीसी 307 और जेजेएक्ट के सेक्शन 75 के तहत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। झाड़ियों में उसे छोड़ना, बच्ची की जान खतरे में डालने के समान था।
छपरा जिले में स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी है, जहाँ अपने शिशु को सुरक्षित सौंपा जा सकता है।
श्री विकास कुमार के मुताबिक, जिले के करीब 10 स्थानों पर पालने भी लगे हुए हैं, जहाँ शिशु को छोड़ा जा सकता है।
पालने में शिशु को छोड़ने से वह जानवरों से बचे रहते हैं, कीड़े मकोड़े भी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा पाते और चोट व इंफेक्शन भी नहीं होता।
लावारिस अवस्था में छोड़ने से कहीं बेहतर विकल्प है सेफ सरेंडर
यदि कोई व्यक्ति/परिवार अपने बच्चे को पालने में असमर्थ हैं या किसी मजबूरी से बाल नहीं सकते हैं तो वह सरकार की सेफ सरेंडर पॉलिसी का उपयोग कर सकते हैं। इसके तहत वह अपने जिले के चाइल्ड वेलफेयर कमिटी से संपर्क कर बच्चे को पूरी सुरक्षा के साथ सौंप सकते हैं। इसके लिए चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर संपर्क करके सहयोग मांग सकते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए पालोना से भी संपर्क किया जा सकता है।
पालोना लोगों से सेफ सरेंडर का विकल्प चुनने की अपील करता है, क्योंकि इसमें व्यक्ति की पहचान भी गुप्त रखी जाती है।