पत्नी के बयान से खुली पति की पोल, पोस्टमॉर्टम में हुई पुष्टि
गर्भावस्था के समय से ही माता-पिता दोनों की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग जरूरी : PaaLoNaa
24 MAY 2024, Friday, Sagar, MP
Team PaaLoNaa
सागर के बहेरिया थाना क्षेत्र के ग्राम चनाटोरिया में साढ़े तीन माह की बच्ची की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। अगले दिन बच्ची के शव को दफना दिया गया। मृतका की मां आरती राठौर ने थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और शव को निकालकर पोस्टमॉर्टम कराया गया। पीएम रिपोर्ट में बच्ची की मौत का कारण मुंह दबाने से दम घुटना पाया गया। पूछताछ में पता चला कि बच्ची की हत्या उसके पिता ने की थी।
सोती बच्ची का पिता ने दबा दिया मुंह
पालोना को इस घटना की जानकारी दो माध्यमों से मिली। दिल्ली से वरिष्ठ पत्रकार व संपादक तथा विदिशा के दीप सिंह कुशवाहा जी ने स्थानीय मीडिया रिपोर्ट को शेयर किया था। इसके मुताबिक, सागर जिले के बहेरिया थाना स्थित चनाटोरिया निवासी घन्श्याम राठौर ने अपनी साढ़े तीन माह की बच्ची की मुंह दबाकर हत्या कर दी।
घनश्याम की पत्नी और बच्ची की मां आरती राठौर (24) ने पुलिस को बताया कि घटना 24 मई की रात को घटी। उस वक्त परिवार सो रहा था। उनकी बेटी लक्ष्मी उन दोनों के बीच सो रही थी। रात ढाई बजे के करीब वह उठी तो देखा कि बच्ची बेड पर मृत है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में आरती के हवाले से लिखा गया है कि बच्ची गर्मी से परेशान थी। वह रोने लगी। इस पर पिता घनश्याम ने उसका मुंह दबा दिया। जिससे बच्ची की मौत हो गई। जब आरती ने पति से पूछा कि ऐसा क्यों किया, तो घनश्याम ने उसे डराया धमकाया। डर के कारण आरती ने घटना को तुरंत किसी को नहीं बताया। अगले दिन बच्ची को दफना दिया गया।
ऐसे हुआ खुलासा
कुछ समय बाद आरती ने पड़ोसी बसंत दांगी को इस बारे में बताया। तब बात पुलिस तक पहुंची। सूचना मिलने के बाद पुलिस ने शव को निकलवाकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। पीएम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि हो गई। जांच के बाद पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी पिता घनश्याम की तलाश शुरू कर दी है।

ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए परिवारों की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग जरूरी: पालोना
- 1. गर्भावस्था के समय से ही माता-पिता की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग हो।
- 2. परिवारों को तनावपूर्ण परिस्थितियों में मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।
- 3 घरेलू हिंसा और बच्चों के प्रति होने वाले अत्याचारों व अपराधों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समुदायिक कार्यक्रम चलाए जाएं।
- 4. परिवारों में किसी भी असामान्य व्यवहार या हिंसा के संकेत मिलने पर तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करें।
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