महेंद्रगढ़ के गांव में कब्र खोदकर निकाला गया सात दिन की नवजात बच्ची का शव
ग्रामीणों को संदेह- मौत सामान्य नहीं, हत्या हुई है मासूम की
21 अप्रैल 2022, गुरुवार, महेंद्रगढ़, हरियाणा।
जमीन के उस टुकड़े पर लोगों की भीड़ जमा थी। पुलिस-प्रशासनिक अमले की मौजूदगी बता रही थी कि मामला संगीन है। उस गांव में ये पहली बार था कि एक नवजात बच्ची के शव ने लोगों की सोई हुई चेतना को जगा दिया था। सब जानने को आतुर थे कि आखिर उसकी मौत का सच क्या है। इसलिए सुबह-सुबह वहां इकट्ठे हुए थे।
ये घटना हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के दौंगड़ा जाट की है, जहां सात दिन की नवजात बिटिया की अचानक मौत ने लोगों को संदेह से भर दिया।
ग्रामीणों के हवाले से स्थानीय मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, गांव के रहने वाले संदीप की पत्नी ने करीब 8 दिन पहले चौथी बेटी को जन्म दिया था। दो-तीन दिन पहले अचानक उसकी मौत की सूचना मिली। ये भी मालूम हुआ कि मां-बाप ने रात के अंधेरे में ही गुपचुप बेटी के शव को गांव के श्मशान में दफना दिया था।
बच्ची की मौत को संदिग्ध महसूस करते ही ग्रामीण एसडीएम से मिले और घटना की जांच की मांग की। उनका ये भी आरोप था कि करीब डेढ़ साल पहले संदीप ने अपने बूढ़े माता-पिता की हत्या कर उन्हें फंदे से लटका दिया था। उस वक्त भी ग्रामीणों में बहुत आक्रोश था, लेकिन संदीप की तीन बेटियों की चिंता करते हुए उसके खिलाफ एक्शन नहीं लिया था। लेकिन इस बार एक मासूम की मौत ने उन्हें अंदर से हिला दिया।
शिकायत मिलने के बाद प्रशासन की तरफ से एसडीएम दिनेश कुमार, ड्यूटी मजिस्ट्रेट जन स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता प्रदीप कुमार, महेंद्रगढ़ सामान्य अस्पताल के चिकित्सकों और महेंद्रगढ़ सदर एवं शहर थाने की टीम मौके पर भेजी गईं और नवजात बच्ची के शव को निकालकर एंबुलेंस द्वारा सामान्य अस्पताल पहुंचाया गया।शव का पोस्टमार्टम मैडिकल बोर्ड द्वारा किया जाएगा। रिपोर्ट आने के बाद ही इस बच्ची के शव की सच्चाई सामने आ पाएगी।
पालोना का पक्ष
- अगर ग्रामीणों का संशय सही साबित होता है तो इसमें आईपीसी 315 के साथ साथ 302 व 34 और जेजे एक्ट के सेक्शन 75 के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।
- राज्य व केंद्र सरकार और बाल संरक्षण विभाग को इस मामले को एक सबक के तौर पर लेना चाहिए।
- उन्हें चाहिए कि प्रदेश में बच्चों के सेफ सरेंडर को लेकर ज्यादा से ज्यादा जागरुकता कार्यक्रम करें।
- आंगनबाड़ी केंद्रों, सार्वजनिक स्थलों, अस्पतालों, जच्चा-बच्चा केंद्रों, हाट बाजारों, ब्लॉक ऑफिस आदि में सेफ सरेंडर संबंधी पोस्टर लगवाएं।
- स्कूल-कॉलेज आदि में सेफ सरेंडर, सेफ एबेंडन और सेफ एडॉप्शन को लेकर वर्कशॉप्स की जाएँ।
- उनकी कॉपी-किताबों व अन्य पाठ्य सामग्री के माध्यम से भी सेफ सरेंडर, सेफ एबेंडन और सेफ एडॉप्शन का प्रचार प्रसार किया जा सकता है।