क्या हुआ –
बुधवार की दोपहर बाद करीब साढ़े चार बजे विशाल जब काम से घर लौटे तो उन्हें अपने घर के बाहर खड़ी रेहड़ी पर दो नन्हें नन्हें पांव एक शॉल में से झांकते नजर आए। उत्सुकतावश जब उन्होंने उस शॉल को खोला तो उसमें एक नवजात बच्ची को देखकर दंग रह गए। वह करीब तीन-चार दिन की लग रही थी। उन्होंने तुरंत अपने परिजनों व आस-पास के लोगों को बच्ची के बारे में बताया। उन्होंने अपने एक मीडिया के साथी को भी इसकी सूचना दी, जिन्होंने बच्ची को दूध व पानी पिलाने की राय दी। धूप व गर्मी से बच्ची के होंठ सूख रहे थे। उस पर वह गर्म शॉल में लिपटी थी।
वहां मौजूद महिलाओं ने बच्ची को पानी व दूध पिलाया। तब तक सूचना मिलने से पुलिस भी वहां पहुंच गई और बच्ची को पीजीआईएमएस, रोहतक में एडमिट करवाया। यह घटना नया पड़ाव, जनता कॉलोनी की है।
जांच के दौरान मालूम हुआ कि बच्ची का जन्म 10 अप्रैल को पीजीआईएमएस रोहतक में ही हुआ था। अगले ही दिन 11 अप्रैल को बच्ची को जन्म देने वाली युवती को बच्ची सहित पीजीआईएमएस से छुट्टी मिल गई थी।
पालोना को घटना की जानकारी सिरसा के पत्रकार श्री भूपेंद्र से मिली।
सरकारी व अन्य पक्ष –
“लॉक डाउन और दोपहरी की वजह से पूरे क्षेत्र में सन्नाटा पसरा था। मेरे पिता रेहड़ी लगाते हैं और मैं लाल पैथ लैब में काम करता हूं। घर लौटा तो बच्ची को रेहड़ी में देखा। वह एक गर्म शॉल में लिपटी थी और उसके पास में ही काले रंग के पॉलीथिन में उसके छोटे छोटे कपड़े भी थे। और कोई सामान साथ नहीं था। मेरे भैया भाभी उस बच्ची को गोद लेना चाहते हैं।” –
श्री विशाल, बच्ची की जान बचाने वाले
“बच्ची को छोड़ने वाली उसकी मां और उसके साथी को 18 अप्रैल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। युवती ने बताया कि वह घुमंतू जाति (गाड़िया लोहार) से है। उसके परिवार में कोई नहीं है। वह राजस्थान से हरियाणा आई।
यहां कई लड़कों से उसके संबंध बने। उसे खुद भी नहीं मालूम कि इस बच्ची का पिता कौन है। वर्तमान में वह जिस युवक के साथ रह रही है, अस्पताल से डिस्चार्ज होकर वह उसी के पास चली गई थी। उन दोनों ने ही इस बच्ची को एक ऐसे घर के आगे खड़ी रेहड़ी पर छोड़ा था, जिनके कोई संतान नहीं थी। हो सकता है कि उन्होंने इसके लिए पहले रेकी की हो। उन्होंने बच्ची को पालने में असमर्थता जताई है। वे नई जिंदगी शुरू करना चाहते हैं।” –
ये एक बेलेबल ऑफेंस हैं। इसके अलावा लॉक डाउन भी चल रहा है। इसलिए कोर्ट ने उन्हें बेल दे दी। बच्ची पीजीआई रोहतक में एडमिट है। वह बिल्कुल स्वस्थ है।
एएसआई राजेश जाखड़, इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर, जनता कॉलोनी पुलिस चौकी
पा-लो ना का पक्ष –
पालोना का मानना है कि –
उनकी मंशा बच्ची को नुकसान पहुंचाने की नहीं थी। वे सिर्फ बच्ची से छुटकारा चाहते थे। यदि उन्हें बच्ची को नुकसान पहुंचाना होता तो वे बच्ची को दिन दहाड़े रेहड़ी पर छोड़ कर जाने का रिस्क नहीं लेते।
उन्हें सरेंडर पॉलिसी की जानकारी नहीं थी। यदि उन्हें सरकार की सरेंडर पॉलिसी के बारे में मालूम होता तो शायद उन्हें अपनी बच्ची को रेहड़ी पर नहीं छोड़ना पड़ता।
रेहड़ी पर बच्ची को छोड़कर उन्होंने उसकी जिंदगी को खतरे में डाल दिया था। कोई जानवर उसे वहां से उठाकर ले जा सकता था। या तीखी धूप उसे नुकसान पहुंचा सकती थी। अनजाने में वे बच्ची की हत्या के भी गुनहगार बन जाते। अब भी कानून की नजरों में वे दोषी हैं।
पालोना का यह भी मानना है कि जिला बाल संरक्षण यूनिट (डीसीपीयू) की जानकारी और उनके कॉंटेक्ट नंबर सभी अस्पतालों और आंगनवाड़ी में मुहैया करवाने से नवजात शिशुओं के परित्याग में कमी आने की संभावना है। इसलिए इन्हें सभी अस्पतालों के रिसेप्शन काउंटर, जच्चा बच्चा वार्ड, एनआईसीयू, इमरजेंसी आदि में सारी जानकारी के साथ डिस्पले किया जाना चाहिए।
15 April 2020
Rohtak, Haryana (F, A)