तीन दिन की एक बच्ची को एक पार्क में पीपल के पेड़ के नीचे छोड़ दिया गया। गनीमत ये रही कि छोड़ने से पहले उसे कपड़े में लपेट दिया गया था और छोड़ने के कुछ देर बाद ही वह लोगों की नजर में आ गई, इसलिए बचा ली गई। घटना बेगूसराय के बलिया प्रखंड परिसर स्थित अंबेडकर पार्क में शनिवार की रात्रि नौ बजे के आसपास घटी।
बिहार के एक बाल हित कार्यकर्ता ने नाम न देने की शर्त पर पा-लो ना को बताया कि छोटी बलिया ऊपर टोला निवासी शंकर शाह के बेटे नीतीश कुमार प्रखंड कार्यालय परिसर में टहल रहे कि उन्हें एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। आवाज की दिशा में बढ़ने पर उन्हें पीपल के पेड़ के नीचे कपड़े में लिपटी छोटी सी बच्ची नजर आई। इस बीच, कुछ अन्य लड़के भी वहां पहुंच चुके थे। बच्ची करीब तीन दिन की प्रतीत हो रही थी और ऐसा लगता था कि उसे कुछ देर पहले ही वहां छोड़ा गया है। उस वक्त रात के करीब 9 बज रहे थे।
बच्ची को रोते देख वे उसे अनुमंडलीय अस्पताल ले गए।
पुलिस को भी सूचना दे दी गई थी। पुलिस के पहुंचने के बाद बच्ची का इलाज अनुमंडलीय अस्पताल में करवाया गया। चिकित्सकों ने इस बात की पुष्टि की कि बच्ची मात्र तीन दिन की है। थानाध्यक्ष सुनील कुमार ने चाइल्डलाइन को नवजात के बारे में जानकारी दे दी थी। वे लोग रविवार को आकर बच्ची को अपने साथ ले गए।
टीम पा-लो ना का मानना है कि यह कार्य बच्ची के बहुत करीबी रिश्तेदार, जैसे कि मां या पिता द्वारा अंजाम दिया गया है। ये भी हो सकता है कि उस घटनास्थल के आस-पास किसी को टहलते देखने के बाद ही बच्ची को वहां छोड़ा गया हो, ताकि बच्ची किसी की निगाह में आ जाए और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचे। ऐसा भी हो सकता है कि कोई व्यक्ति दूर से उस बच्ची पर निगाह रखे हुए हो।
एक और बात ये भी समझ में आती है कि आम लोगों में बच्चों को सरेंडर करने को लेकर जागरुकता का नितांत अभाव है। इसलिए वहां इस तरह की घटनाएं बड़ी संख्या में हो रही हैं। जरूरी है कि वहां लोगों को जागरुक करने वाले कार्यक्रम ज्यादा से ज्यादा तादाद में आयोजित किए जाएं।
16 जून 2018 बलिया, बिहार (F)