क्या हुआ –
एक नवजात बच्ची, जिसकी गर्भनाल भी नहीं कटी थी, उसे गोद से उतारकर नाले में डाल दिया गया। शुक्र है कि वह नाला सूखा था, वरना बच्ची को बचाना नामुमकिन होता। वहां से गुजर रही श्रीमती अनीता मिंज को पास में काम कर रही एक अन्य महिला ने आवाज दी और बच्ची के रोने की बात बताई। तब श्रीमती मिंज ने बच्ची को सूखे नाले से निकाला। इस बीच वहां लोगों की भीड़ में से किसी ने पीसीआर को फोन कर दिया। कुछ ही देर में पीसीआर भी मौकास्थल पर पहुंच गई। बच्ची को रिंची अस्पताल में फर्स्ट एड दिलवाने के बाद रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां वह इलाजरत है।
ये घटना रांची के कटहल मोड़ पर तुपुदाना रिंग रोड स्थित भंडरा टोली के पास घटी। पालोना को इसकी जानकारी पत्रकार श्री कमल से मिली, वहीं घटना का विवरण श्री उमेश प्रसाद उर्फ बंटी, श्री प्रेम गोप, बबलू मंसूरी ने दिया।
सरकारी व अन्य पक्ष –
“मैं किसी काम से तुपुदाना जा रही थी कि एक लेबर ने आवाज देकर बुलाया व बच्ची की जानकारी दी। तब उसे नाले से निकाला, जो सूखा था। बच्ची गंदे कपड़े में लिपटी हुई थी। उसकी गर्भनाल भी नहीं कटी थी। उसे देखने से लगता था कि उसे कहीं और से लाकर वहां डाला गया है। फिर पुलिस के साथ उसे रिंची अस्पताल ले गए।” –
श्रीमती अनिता मिंज, प्रत्यक्षदर्शी व बच्ची को बचाने वाली, रांची
“बच्ची को रानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। उसके चेहरे पर होंठ के आस पास चींटियों या कीड़ों आदि के काटने के संकेत हैं। हल्का जॉंडिस भी है। हालांकि वह खतरे से बाहर है। हमने उसका नाम सुलग्ना रखा है। इस संबंध में अनगढ़ा पुलिस को केस दर्ज करने को कहा गया है।” –
श्रीमती तनुश्री सरकार, बाल कल्याण समिति, रांची
पा-लो ना का पक्ष –
पालोना शुक्रिया अदा करता है श्रीमती अनिता मिंज जी का, जिन्होंने बच्ची को नाले से निकालने में जरा भी देरी नहीं की। बच्ची इतनी मासूम, इतनी प्यारी है कि एक नजर में ही मोह लेती है, फिर भी अपनों के दिल में जगह बनाने में नाकाम रही। वह इस बात से अनजान है कि उसके साथ उसके अपनों ने ही कितना बड़ा अन्याय किया है।
बच्ची के परिजनों को कम से कम इतना ध्यान रखना चाहिए था कि बच्ची को किसी सुरक्षित जगह पर रखते।
सबसे बेहतर तो ये होता कि वे उसे चाईल्डलाईन (टोलफ्री नंबर 1098) के जरिए बाल कल्याण समिति को सौंप देते।
रांची पुलिस इस मामले को आईपीसी और जेजेएक्ट की उपयुक्त धाराओं में दर्ज कर गहन जांच करें और ये समझने का प्रयास करें कि क्या बच्ची को वहां छोड़ने वालों की मंशा उसकी हत्या करने की थी या वे उससे सिर्फ निजात पाना चाहते थे।
पालोना के जरिये हम झारखंड के बाल/समाज कल्याण विभाग से ये अपील करते हैं कि वे सेफ सरेंडर संबंधी जागरूकता कार्यक्रमों पर फोकस करें, पैम्फलेट्स बंटवाये, पोस्टर्स लगवाएं ताकि आम जन को मालूम हो कि परिस्थिति विशेष में वे अपने बच्चे को सरकार को सुरक्षित सौंप सकते हैं।
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11 Feburary 2020
Ranchi, Jharkhand (F, A)