उस बच्ची को एक फ्रॉक और पतले से कपड़े में कोई व्यक्ति मंदिर में छोड़ गया था। बच्ची जब रोने लगी, तब मंदिर के पुजारी का ध्यान उसकी तरफ गया। यह घटना सोमवार की दोपहर को रांची रोड स्थित रोबा कॉलोनी में शीतला माता मंदिर के परिसर में घटी।
घटना की जानकारी देते हुए पत्रकार श्री सतीश कुमार ने पा-लो ना को बताया कि बच्ची करीब दो-तीन दिन की है। उसे रामगढ़ का ही एक परिवार गोद लेना चाहता है। मंदिर के पुजारी ने इस बच्ची को देखभाल के लिए उस परिवार को सौंप दिया था। इस दंपति को पहले से कोई संतान नहीं है, इसलिए महिला, जो पेशे से शिक्षक है, वह बच्चे को गोद लेना चाहती है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया इतनी लंबी है कि यह संभव प्रतीत नहीं हो रहा। उन्होंने ये भी बताया कि बच्चे को सीडब्लूसी को सौंप दिया गया है।
कुछ चाइल्ड एक्टिविस्ट का मानना है कि इस मामले में केस दर्ज कर बच्चे को इस तरह छोड़ने वाले के खिलाफ जांच पड़ताल करनी चाहिए, लेकिन पालोना का स्पष्ट मानना है इस केस में बच्चे को मंदिर में छोड़ने वाले ने समझदारी का परिचय दिया है। उन्होंने बच्चे को किसी असुरक्षित स्थान पर नहीं छोड़ कर, मंदिर जैसे सुरक्षित स्थान का चयन इस कार्य के लिए किया, जिससे बच्ची जानवरों का और इनफेक्शन का शिकार होने से बच गई। यही नहीं, उन्होंने बच्चे को छोड़ने के समय का भी बहुत सावधानीपूर्वक चयन किया। उन्होंने बच्चे को न तो देर रात को छोड़ा और ना ही बहुत सुबह, बल्कि दोपहर को उन्होंने बच्चे को मंदिर में छोड़ा, ताकि किसी ना किसी की निगाह उस बच्ची पर चली जाए और उसे प्रॉपर केयर और अटेंशन मिल जाए।
बाद की गतिविधियों से स्पष्ट है कि उनकी मंशा गलत नहीं थी और उनकी योजना सफल रही। बच्ची फिलहाल स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी में है। जरूरत इस बात की है कि ज्यादा से ज्यादा जागरूकता कार्यक्रम चला कर लोगों को इस बारे में बताया जाए कि वे जरूरत पड़ने पर अपने बच्चे को सुरक्षित हाथों में सौंप सकते हैं। यदि किसी भी वजह से वे बच्चे को पालने में असमर्थ हैं तो वे सरकारी अधिकारियों, थाने या पा लो ना को भी बच्चे को सौंपने संबंधी सूचना दे सकते हैं।
19 नवंबर 2018 रामगढ़, झारखंड (F)