क्या हुआ –
एक नवजात बच्ची ठंडी जमीं पर लेटी थी। उसके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था। उसकी गर्भनाल और प्लेसेंटा भी उसके साथ ही लगा था। शरीर पर हर तरफ लगा खून इस बात की गवाही दे रहा था कि उस बच्ची का जन्म कुछ ही देर पहले हुआ है। इससे पहले कि उसके खून की गंध कीड़ों-मकोड़ों और आवारा जानवरों को अपनी तरफ आकृष्ट करती, लोगों की निगाह उस पर पड़ गई और उसे जमीं पर से उठा लिया गया।
ये घटना बारां जिले के किशनगंज के केलवाड़ा कस्बे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पार्क में मंगलवार सुबह 10.30-11 बजे के बीच घटी। बच्ची को प्राथमिक चिकित्सा के बाद बारां जिला अस्पताल और फिर कोटा रैफर किया गया, जहां अगले दिन बच्ची की मौत हो गई। पालोना को घटना की जानकारी बारां के पत्रकार श्री बृजेश ने दी।
मीडिया व सरकारी पक्ष –
“एक नवजात बच्ची को जीवित अवस्था में केलवाड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पार्क में दो महिलाएं जमीन पर ही छोड़कर भाग गईं। स्वास्थ्य केंद्र में ले जाकर बच्ची का तुरंत इलाज शुरू किया गया। उसे कोई चोट नहीं लगी थी।” –
श्री बृजेश, पत्रकार, बारां, राजस्थान
“बच्ची का जन्म अपने पूरे समय पर हुआ था। करीब साढ़े 11 बजे उसे हमारे पास लाया गया, उसे हाईपोथर्मिया था। जन्म के बाद करीब आधा-पौना घंटा वह खुले में रही होगी, ऐसा लगता है। उसका शरीर नीला पड़ना शुरू हो चुका था। हमने तुरंत उसे प्राथमिक चिकित्सा दी। जब वह रिवाईव कर गई, तब उसे बारां जिला अस्पताल रैफर किया गया, जहां से उसे आगे बेहतर ईलाज के लिए कोटा रेफर किया गया। अगले दिन सुबह ही बच्ची की मौत हो गई। स्वस्थ और नॉर्मल हालात में जन्मे बच्चे के लिए भी शुरुआती दो दिन बहुत क्रिटिकल होते हैं। और इस मासूम ने तो जन्म लेते ही इतने बड़े खतरे को फेस किया था। ये अच्छा था कि उसे यहां अस्पताल कैम्पस में छोड़ा गया, वरना न जाने जानवर उसका क्या हाल करते। काश कि उन्होंने अस्पताल के अंदर ही स्वास्थ्यकर स्थान पर उसे छोड़ा होता तो शायद वह बच जाती।” –
डॉ. राजेश राजावत, केलवाड़ा, राजस्थान (बच्ची का सबसे पहले इलाज करने वाले डॉक्टर)
“हमने इस घटना में आईपीसी 317 के तहत केस दर्ज कर लिया है। जांच चल रही है। और उसे वहां छोड़ने वालों की खोज की जा रही है।” –
सीओ कजोड़मल, शाहाबाद, राजस्थान
पा-लो ना का पक्ष –
इस केस में कुछ लोगों की लापरवाही और डर ने बच्ची की जान ले ली। पालोना का स्पष्ट मानना है कि अगर बच्ची के परिजन उसे नुकसान ही पहुंचाना चाहते तो उसे कहीं और भी छोड़ सकते थे, किसी निर्जन स्थान पर, किसी डस्टबिन में, किसी नाले में, जैसा कि अक्सर क्रूर लोग करते हैं, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे दिन के 11 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लगे पार्क में बच्ची को छोड़ गए। इस दौरान उन्होंने दो ऐसी गलतियां जरूर कीं, जो बच्ची के लिए जानलेवा साबित हुईं –
बच्ची को इतनी ठंड में बिना कपड़ों के ही जमीन पर लिटा दिया, जबकि उसे कपड़े में अच्छी तरह लपेटना चाहिए था, जिससे बच्ची को हाईपोथर्मिया हो गया।
बच्ची को जमीन पर छोड़ने की बजाय बारां की बाल कल्याण समिति को सौंप देना चाहिए था या फिर अस्पताल के अंदर सुरक्षित स्थान पर बच्ची को छोड़ देते।
पालोना अपील करता है उन सभी माता-पिता और परिजनों से, जो किसी न किसी मजबूरी या हालात की वजह से अपने बच्चे को त्यागने के लिए बाध्य हैं – बच्चों को त्यागे नहीं, बल्कि सौंप दीजिए।
अगर आप नहीं जानते हैं कि किसे सौंपना है तो आप चाइल्ड लाइन (1098) को कॉल कर सकते हैं या पालोना (9798454321) से सम्पर्क कर सकते हैं। हम सबको मिलकर ये प्रयास करना है कि बच्चे सुरक्षित भी रहें और स्वस्थ भी।
#PaaLoNaa #Save_The_Unwanted_Newborns #No_More_RIP #Abandon #Abandoned
#Exposure #Alive
#Dead #Newborn #Child #Children #family #Baby #Babies #Infant #Infanticide #Neonate
#Neonaticide
#Brutal #Killing #CrimeAgainstChildren #CrimeAgainstHumanity #BetiBachaoBetiPadhao
#BabyGirl
#BabyBoy #Adoption #FosterCare #Sponsorship #CARA #MinistryWCD #ManekaGandhi #ICPS
#CNCP
#SCPCR #NCPCR #CARA #Safe_Haven_law #BabyBox #Globla #India #Jharkhand #MP #Haryana
#Rajasthan
#Bihar #UP #Chhatisgerh #Banglore #Sensitive #Reporting #Journalism #Advocacy
#Awareness
#Research #Sensitization #DATA #FACTS #FIGURES
04 February 2020
Baran, #Rajasthan (F, D)