वह शायद पानी में बहते-बहते किनारे लग गई थी। नदी किनारे गीली मिट्टी में अटक गई थी। आस-पास टूटी-फूटी बोतलें, कीचड़ और कचरा और उन्हीं के साथ मिट्टी से सनी वो नवजात बच्ची। सभी सामान की तरह वह भी निष्प्राण। दिल को झकझोर देने वाली यह घटना बाड़मेर के सिणधरी कस्बे से गुजरने वाली लूणी नदी किनारे रविवार सुबह घटी।
पत्रकार श्री सवाई सेन ने पा-लो ना को बताया कि सिणधरी कस्बे से लूणी नदी गुजरती है। इसी की पुलिया पर से गुजरते हुए कुछ राहगीरों की नजर उस मासूम के शव पर पड़ी और उन्होंने पुलिस को सूचना दी। श्री सेन के मुताबिक वह मासूम एक दिन पहले जन्मी हुई लग रही थी। नाभि पर हॉस्पिटल की पिन भी लगी हुई थी। प्रत्यक्षदर्शी हमेशा की तरह मां को कोस रहे थे। मौके पर पहुंची सिणधरी थाना पुलिस ने शव को बाहर निकलवाया और पोस्टमार्टम करवाकर दफना दिया।
यही नहीं, पुलिस ने अज्ञात माँ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच भी शुरू कर दी है। सबके सामने एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि बच्चे को मरने के बाद लूणी नदी में फेंका गया या उसकी हत्या के इरादे से उसे जिंदा ही वहां फेंक दिया गया।
टीम पा-लो ना को लगता है कि यह मामला शिशु के जन्म के दौरान या बाद में मृत्यु का है, जिसके शव को पानी में बहा दिया गया था और वह बहते-बहते किनारे आ लगा था। आईपीसी की धारा 318 के तहत इस तरह के मामलों में भी एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान है, लेकिन क्योंकि हमारे देश में यह एक जनरल प्रेक्टिस है कि नवजात बच्चों के शवों को जलाया नहीं जाता, बल्कि दफना या पानी में बहा दिया जाता है। इसलिए शिशु शव मिलने के अधिकांश मामलों में देश के अनेक हिस्सों में आज भी एफआईआर दर्ज नहीं होती।
इस मौत का कारण क्या रहा, यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही खुलासा हो पाएगा। लेकिन हम आम जन से ये अपील करते हैं कि अपने बच्चों की नॉर्मल डेथ के बाद उन्हें कहीं भी नहीं फेंक या बहा दें, बल्कि एक सुनिश्चित स्थान पर दफना दे। इससे आपके प्यारे बच्चे को सुकून मिलेगा और उसके शव की दुर्गति भी नहीं होगी।
22 जुलाई 2018 बाड़मेर, राजस्थान (F)