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Home    नवजात शिशु, पानी की टँकी और 20 मिनट… आखिर क्या है ये माजरा

Latest News On Infanticide

नवजात शिशु, पानी की टँकी और 20 मिनट… आखिर क्या है ये माजरा

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AN 08 MONTH INFANT WAS KILLED BY TEENAGER IN DELHI

दिल्ली में अपने ही घर की टँकी में मिला आठ माह के बच्चे का शव

 गुस्से से भरे किशोरवय लड़के ने दिया था घटना को अंजाम 

मोनिका आर्य

05 मई 2022, गुरुवार, दिल्ली।

करीब 08 माह के उस नवजात शिशु (लड़के) की खोज जारी थी।  20 मिनट पहले उसकी मां उसे उसके दो अन्य बड़े भाई-बहनों के साथ घर पर छोड़ कर निकली थी। लौटी तो वो शिशु गायब था, जिसने अभी चलना भी नहीं सीखा था। इसलिए उसे ढूंढने में लगे थे सब और उसी क्रम में जब मकान की छत पर रखी पानी की टँकी का ढक्कन हटाया गया तो वे हतप्रभ रह गए। नवजात का शव टँकी के पानी में तैर रहा था। लेकिन जब बच्चे का कातिल सामने आया, तो कोई उस पर एकाएक विश्वास नहीं कर सका।  

ये घटना मंगलवार, 03 मई 2022 को पूर्वी दिल्ली के  न्यू अशोक नगर थाना क्षेत्र के दल्लु पुरा गांव में घटी। यहां 8 माह के नवजात का शव उसके ही घर की छत पर रखी पानी की टंकी में मिला।

https://paalonaa.in/newborn-found-dead-roadside-in-bokaro-of-jharkhand/

ये है पूरी घटना

दिल्ली के पत्रकार श्री राजन से इस घटना की जानकारी मिली। उन्होंने पुलिस के हवाले से बताया कि पिंटू कुमार और उनका परिवार पूर्वी दिल्ली के दल्लु पुरा गांव में किराए के मकान में रहता है। परिवार में पिंटू की पत्नी पूनम के अलावा दो तीन बेटे थे। बड़ा बेटा साढ़े चार साल का है और दूसरे नम्बर का बेटा ढ़ाई साल का है। सबसे छोटा बेटा आठ माह का था, जिसकी हत्या हो गई। 

परिजनों ने जो पुलिस को बताया, उसके अनुसार, पिंटू अपने काम पर गया था और उसकी पत्नी पूनम किसी  काम के लिये घर से बाहर गई थी। लेकिन बाहर जाने से पहले पूनम ने तीनों बच्चों को एक कमरे में बंद कर दिया था। करीब 20 मिनट बाद जब वह घर लौटी तो कमरे में सबसे छोटा बेटा मौजूद नहीं था।

ये भी पढ़ें – चक्रधरपुर में पानी में मिला नवजात का शव

बच्चे की तलाश के बाद भी जब वो नहीं मिला, तो पूनम ने अपने पति को फोन कर बच्चे के गायब होने की जानकारी दी। पिंटू काम से लौट आया और अपने परिजनों व परिचितों के साथ बच्चे की तलाश करने लगा। तलाशी के दौरान ही घर की छत पर रखी 500 लीटर की पानी की टंकी में बच्चे का शव मिला। 

परिजनों ने तुरंत उसे निकाला और लाल बाहदुर शास्त्री अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। अस्पताल ने ही ये सूचना न्यू अशोक नगर थाना पुलिस को दी। पुलिस ने बच्चे के शव का पोस्टमार्टम करवा मामले को हत्या की धाराओं में दर्ज कर जांच शुरू की।

ऐसे पकड़ा गया अपराधी पानी की टंकी में मिला नवजात का शव, 13 साल के बच्चे ने अपना जुर्म कबूला

प्राथमिक जांच और पूछताछ के बाद पड़ौस में ही रहने वाले एक किशोरवय लड़के की गतिविधियां संदिग्ध लगी। पुलिस को मालूम हुआ कि वारदात से पहले उक्त नाबालिग को पूनम के घर के पास देखा गया था। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की तो नाबालिग ने जुर्म कबूल कर लिया।

उसने बताया कि बच्चे की माँ पूनम से उसका झगड़ा हो गया था। वह अक्सर उसे छोटी छोटी बातों पर टोंका करती थी। जिसके चलते नाबालिग उससे नाराज रहता था। 3 मई को जब पूनम बाहर निकली तो वह उसके घर पहुंचा। खेलने के बहाने वह बच्चे को लेकर छत पर चला गया। जहां उसने नवजात को पानी भरी टंकी में फेंक दिया और वापस अपने घर आ गया।

पालोना का पक्ष

देश में पिछले एक दशक में नवजात शिशुओं की हत्या में हुई वृद्दि चिंताजनक है। कभी ये हत्याएं प्रत्यक्ष रूप से अंजाम दी जाती हैं, जैसा दिल्ली के इस मामले में हुआ तो अनेकों बार अप्रत्यक्ष रूप से भी शिशु हत्या की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। इसलिए अभिभावकों के साथ साथ समाज को भी नवजात शिशुओं की तरफ बढ़ते इस अपराध को लेकर सतर्क और अवेयर होने  की जरूरत है।

मानसिक स्वास्थ्य पर देना होगा ध्यान

  • इसके अलावा 13 साल के एक किशोर लड़के के मन में गुस्से का जो रूप एक मासूम की हत्या के परिणामस्वरूप सामने आया है, उसे भी अनदेखा नहीं किया जा सकता।
  • ये बताता है कि युवावस्था की तरफ बढ़ रहे हमारे किशोर बच्चे और बच्चियां मन से कितने कमजोर हैं। उनके मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत हैॆ।
  • वे कई दबावों से गुजर रहे हैं। उनके मन में पनपे आक्रोश को समय पर पहचान कर उसका निदान कर दिया जाए, तो हत्या जैसे जघन्य अपराधों में संलिप्त होने से उन्हें बचाया जा सकता है।
  • निजी शैक्षिक संस्थानों में साइक्लॉजिकल कॉउंसलर्स की नियुक्ति से ही ये जिम्मेदारी पूरी नहीं होगी, वरन इसे ईमानदारी से एग्जीक्यूट भी करना होगा।
  • इसके अलावा, छोटे-छोटे समुदायों, बस्तियों, गली मुहल्लों में भी साइक्लॉजिकल कॉउंसलर्स के कैंप लगाने होंगे।

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PaaLoNaa is a cause dedicated to those infants who have been shunned by their own parents. These infants are adandoned in deserted public places like railway lines, ponds, bushes, forests, barren lands for some or the other reasons, compulsions, fears or greed.

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