वह बच्चा झाड़ियों में पड़ा था और लगातार रो रहा था, जब शौच करने जा रही कुछ महिलाओ ने उसके रोने की आवाज सुनी और उसके पास पहुंची। घटना शनिवार को जमुई के सोनो प्रखंड स्थित केशोफरका गांव में नउवा बगीचे के पास घटी।
पत्रकार श्री प्रशांत किशोर और श्री अंजुम आलम ने पा-लो ना को बताया कि एक नवजात शिशु सड़क किनारे झाड़ियों में बिलख रहा था। पशु-पक्षियों के अलावा कीट पतंगे भी उसे नुकसान पहुंचा सकते थे। लेकिन ऊपर वाले ने बच्चे की तकदीर में शायद कुछ और ही लिखा था। इसीलिए अहले सुबह शौच के जा रही ग्रामीण महिलाओं ने बच्चे के रोने की आवाज सुनी। इन्हीं महिलाओं में केशोफरका गांव के बालमुकुंद पासवान की पत्नी माया देवी भी थी। बच्चे की आवाज सुन कर सभी महिलाएं वहाँ पहुँच कर देखने लगी। तब श्रीमती माया ने बच्चे को वहां से बाहर निकाल कर गोद में उठा लिया। बाद में बच्चे को इलाज हेतु झाझा के एक निजी नर्सिंग होम ले जाया गया। बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है।
अस्पताल से लाकर बच्चे को गांव के ही राजेश कुमार और उनकी पत्नी रीना देवी की गोद में डाल दिया गया। बताया जाता है कि इस दंपति के चार लड़कियां है, लेकिन पुत्र नहीं है। राजेश ने आश्वस्त किया है कि बच्चे के पालन-पोषण में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाएगी। हालांकि उनकी मंशा नेक है और बच्चे को एक सुरक्षित और स्वस्थ माहौल मिलने के पूरे आसार है, लेकिन मौजूदा कानून किसी को भी बच्चे को इस तरह अपने पास रखने की इजाजत नहीं देता। बच्चे को सबसे पहले अस्पताल ले जाने के बाद फिर पुलिस थाने और बाल कल्याण समिति और चाईल्ड लाईन को इसके बारे में सूचित किया जाना चाहिए।
जमुई बाल कल्याण समिति को बच्चे के बारे मेें कोई जानकारी नहीं थी। इसलिए टीम पा-लो ना ने बच्चे की बेहतरी का ख्याल रखते हुए बाल कल्याण समिति के श्री अमय झा को घटना की जानकारी दे दी है। विश्वास है कि जल्द ही बच्चे को वहां से लाकर बेहतर मेडिकल केयर उपलब्ध करवाई जाएगी।
02 जून 2018 जमुई, बिहार (M)