कांटों और कीड़ों से घायल थी मासूम, स्थिति गंभीर
ये गंभीर अपराध, Safe Surrender है सही विकल्प- पालोना
16 October 2023, Narnaul, Haryana.
Monika Arya
नारनौल के एक गांव में एक नवजात बच्ची मिली। कांटों भरी झाड़ियों में कोई उसे छो़ड़ गया था। वहां घूम रहीं कुछ महिलाओं को उसके रोने की आावाज से उसके होने का पता चला। गांव के सरपंच की मदद से बच्ची को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया। फिलहाल बच्ची की स्थिति क्रिटिकल बनी हुई है।
कब, कहां, कैसे
ये घटना हरियाणा में नारनौल शहर के नांगल चौधरी क्षेत्र में स्थित गांव आसरावास में सोमवार, 16 अक्तूबर को घटी। पालोना को इसकी सूचना रेवाड़ी मीडिया के साथी श्री विनीत कुमार से मिली। इसके पश्चात टीम पालोना ने नारनौल मीडिया के साथी श्री देवेंद्र कुमार की मदद से आसरावास गांव के सरपंच श्री कर्मपाल से बात की।
उन्होंने जो बताया, उसके मुताबिक, सोमवार सुबह 11 बजे के करीब गांव की कुछ महिलाएँ लकड़ियां चुनने के लिये पावर हाउस की तरफ बंजर जमीन के पास गईं थीं। इनमें ग्रामीण लेखराम जी की पत्नी विमला देवी भी थीं। अचानक उन्हेें एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। इधर-उधर देखने पर उन्हें पास की झाड़ियों से आवाज आती महसूस हुई। विमला जी ने वहां जाकर देखा तो कांटों के बीचोंबीच काले रंग के पॉलीथिन में एक मासूम बच्ची मौजूद थी।
उन्होंने पास में घूम रहे कुछ लड़कों को आवाज दी। उन्हीं लड़कों में से किसी ने सरपंच कर्मपाल जी को फोन किया। दो मिनट के अंदर सरपंच घटनास्थल पर पहुंच गए। पहले उन्होंने बच्ची को झाड़ियों में से निकलवाया और इसके बाद पुलिस और एंबुलेंस को फोन किया।
बच्ची के शरीर पर चींटियां और कीड़े रेंग रहे थे। उन्होंने कई जगहों पर उसे काटा हुआ था। उसके कान से खून बह रहा था। वहीं, शरीर के अनेक हिस्सों पर घाव थे। कुछ चोटें उसे कंटीली झाड़ियों से भी लगी थी।
कुछ ही देर में पहले एंबुलेंस और फिर पुलिस की एक टीम भी वहां पहुंच गई। बच्ची को इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां बच्ची को फर्स्ट एड देने के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
क्या लिखता है स्थानीय मीडिया
डॉ अशोक यादव के हवाल से स्थानीय मीडिया ने लिखा है कि बच्ची का जन्म एक दिन पहले ही हुआ था। उसकी नाभि पर लगे नीले रंग के क्लिप की वजह से ये माना जा रहा है कि उसे किसी अस्पताल में ही जन्म दिया गया होगा। मासूम की स्थिति गंभीर बनी हुई है। वहीं, एसएचओ भूपेंद्र यादव के हवाले से बताया गया है कि पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।
पालोना का पक्ष
पालोना का मानना है कि किसी भी बच्चे के लिए सबसे सुरक्षित और श्रेष्ठ स्थान उसका अपना घर आंगन, अपना परिवार, अपने जनक मां-बाप ही हो सकते हैं।
फिर भी यदि बच्ची को छोड़ने की नौबत आ ही गई थी तो वे बच्ची को छोड़ते समय़ थोड़ी समझदारी बरत सकते थे।
वे उसे CWC के जरिए सरकार को सुरक्षित सौंप सकते थे। सरकार की Safe Surrender पॉलिसी के तहत ऐसा करना वैध है। और यह प्रक्रिया गोपनीय होती है।
इसके अलावा, बच्ची को वहां खुले में झाड़ियों में छोड़ने की बजाय अगर किसी सुरक्षित स्थान जैसे, कोई पालना
या अस्पताल के अंदर बेड पर छोड़ते तो यह उस मासूम के लिए बहुत बेहतर होता।
कुछ पहल सरकार के स्तर पर करने की भी जरूरत है। सरकार के बाल संरक्षण विभाग को अपनी सेफ सरेंडर पॉलिसी के साथ साथ जिले में लगे हुए पालनों / झूलों (cradle )के बारे में भी जन जागरूकता करनी चाहिए।