एक कार अचानक वहां आकर रुकी, एक युवक उसमें से निकला और उसने अपने हाथ में थामे पॉलीथिन को हिरन नदी में फेंक दिया। वहीं पास में ही बच्चे खेल रहे थे, जिन्होंने उस युवक को पॉलीथिन फेंकते और फिर उस पॉलीथिन में से बाहर निकलते नवजात बच्चों के शवों को देखा और शोर मचाकर लोगों को बुला लिया। घटना शुक्रवार की शाम चार-साढ़े चार बजे के आस-पास कुशलगढ़ थाना क्षेत्र के मंगलेश्वर गांव स्थित मठ के समीप हिरन नदी के पुल पर घटी।
पत्रकार श्री रवि राठौर ने पा-लो ना को बताया कि इन बच्चों में एक लड़का है और एक लड़की। दोनों की उम्र करीब 2-3 दिन बताई जा रही है। रवि के मुताबिक, दोनों के सिर पर कंकू (एक लाल रंग का पाउडर जैसा पदार्थ) लगा हुआ है और बच्ची के नाभि पर तो केनुला भी लगा है। ऐसा लगता है कि दोनों जुड़वां रहे होंगे। इसके अलावा एक बात ये भी निश्चित है कि बच्चों का जन्म किसी अस्पताल में हुआ है, घर में नहीं। पुलिस को घटना की सूचना दे दी गई थी और रात होने की वजह से दोनों शवों को कुशलगढ़ अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया था।
इस मामले में बच्चों की हत्या के आसार नजर नहीं आ रहे। बच्ची के शरीर पर केनुला के लगे होने से ये स्टिलबर्थ का केस भी प्रतीत नहीं होता। इसलिए आशंका है कि जन्म के बाद ईलाज के दौरान उनकी मौत हो गई होगी, जिसके बाद परिजन उन्हें घर ले जाने की बजाय नदी में बहाकर चले गए।
बच्चों के अंतिम संस्कार का उनका ये तरीका किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि हमारे देश में नवजात बच्चों की मृत्यु की स्थिति में या तो उन्हें दफना दिया जाता है, या पानी में बहा दिया जाता है। लेकिन पा-लो ना टीम बच्चों को कहीं भी दफनाने या उन्हें बहाने की हमेशा से निंदा करती आई है, इससे उनके नन्हेें शव दुर्गति का शिकार हो जाते हैं। हमारा मानना है कि मृत्यु के पश्चात बच्चों का निर्धारित स्थान पर विधिवत अंतिम संस्कार होना चाहिए।
09 मार्च 2018 बांसवाड़ा, राजस्थान (M,F)