आजमगढ़ में झाड़ियों में मिली नवजात बिटिया
सुबह दौड़ने निकले लड़कों को सुनाई दी बिटिया की आवाज, पुलिस ने दर्ज नहीं की FIR
30 जुलाई 2022, शनिवार, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश।
ये लाडो बिटिया करखिया गांव में झाड़ियों में मिली है। गांव के कुछ लड़के जब सुबह दौड़ने के लिए पुल की तरफ गए तो उन्हें किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। ढूंढने पर झाड़ियों में ये नवजात बच्ची मिली। बच्ची को एक निस्संतान दंपति गोद लेना चाहते थे। सूचना पर पहुंची पुलिस और चाइल्डलाइन की टीम ने बच्ची को उनसे ले कर अस्पताल में एडमिट करवाया। पुलिस ने इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है।
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कब और कहां मिली बिटिया
पालोना को इस घटना की जानकारी गूगल सर्फिंग के दौरान मिली। स्थानीय मीडिया की कई खबरों को खंगालने और संबंधित चाइल्ड लाइन के साथ साथ थाना प्रभारी से बात करने के बाद सारी डिटेल्स मालूम हुईं। इसके मुताबिक, ये घटना रौनापार थाना क्षेत्र के करखिया गांव में शनिवार सुबह 5-6 बजे घटी। करखिया गांव निवासी कुछ लड़के सुबह दौड़ने के लिए करखिया पुल की तरफ निकले थे। तभी उन्हें किसी छोटे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। जब उन लड़कों ने खोजना शुरू किया तो पुल के नीचे झाड़ियों में ये लाडो बिटिया मिली।
बच्चों ने इसकी सूचना तत्काल अन्य ग्रामीणों को दी, जिसके बाद पूरा गांव पुल के पास जुट गया। इसी दौरान किसी ने रौनापार थाने को फोन कर दिया। पुलिस टीम और स्वास्थ्य विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई। बिटिया को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हरैया भेज दिया गया।
निस्संतान दंपति था लाडो बिटिया को लेने को तैयार
नवजात बच्ची के मिलने की बात सरिता देवी और गांव में रिश्तेदारी में आए श्री संदीप को भी मिली। संदीप ने उपस्थित लोगों को बताया कि उनकी बहन पूजा और बहनोई सुनील के कोई भी संतान नहीं है। वे निसंतान हैं और मऊ में रहते हैं। अगर यह बच्ची संदीप को मिल जाए तो वह इसे अपनी बहन को दे देंगे, ताकि पूजा उस बच्ची का पालन पोषण कर सके। वहीं, सरिता भी अपनी एक रिश्तेदार के लिए बच्ची को गोद लेना चाहती थीं।
महिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती है बिटिया
इसी दौरान बच्ची की सूचना पाकर चाइल्डलाइन की टीम भी करखिया गांव पहुंच गई। चाइल्ड लाइन की जिला समन्वयक मिस प्रतीक्षा राय ने अपने टीम मेंबर श्री हरिशंकर यादव के साथ जाकर बच्ची को उनसे ले लिया। इसके लिए वहां उपस्थित लोगों को एडॉप्शन के लिए समझाना मुश्किल काम था, इसलिए उन्हें सीडब्लूसी से मिलने की राय दी। बच्ची को जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू में एडमिट करवा दिया गया। स्वस्थ होने के बाद सीडब्लूसी के निर्देश पर बच्ची को किसी शिशु गृह में भेज दिया जाएगा।
किसने क्या कहा
हमें पुलिस से बच्ची की सूचना मिली तो हमने उन्हें बच्ची को निकटवर्ती अस्पताल ले जाकर फर्स्ट एड दिलवाने को कहा। हमें बताया गया कि सेना की तैयारी करने वाले लड़कों का एक ग्रुप सुबह दौ़ड़ लगा रहा था। तभी उन्हें झाड़ियों में से बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। उन्हीं लड़कों ने पुलिस को सूचना दी। उनमें से एक लड़के ने 15-20 किलोमीटर दूर रहने वाली अपनी रिश्तेदार सरिता देवी को भी फोन करके बुला लिया। सरिता देवी की बहु शायद निस्संतान हैं। वह बच्ची को गोद लेना चाहतीं थीं। वहीं संदीप नामक व्यक्ति भी अपनी बहन के लिए बच्ची को लेने को उत्सुक थे। वे दोनों आपस में शायद रिश्तेदार भी हैं।
इसके बाद हमने बच्ची को आजमगढ़ के जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू में एडमिट करवाया। उसे चींटियों ने थोड़ा काटा है। बच्ची का वजन काफी कम है। डॉक्टर के मुताबिक, वह 1600 ग्राम की है। हालांकि उसे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है, लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि वह रिकवर कर रही है।
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मिस प्रतीक्षा राय, जिला समन्वयक, चाइल्ड लाइन, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश।
शनिवार की भोर में 5-6 बजे झाड़ियों में नवजात बच्ची मिली थी। वह करखिया रुस्तम सराय पुल के पास मिली थी। बच्ची को कपड़े में लपेट कर कोई छोड़ दिया गया था। सुबह कुछ लड़के दौड़ लगा रहे थे। उन्होंने ही बच्ची को देखा। बाद में चाइल्ड लाइन की टीम आकर बच्चे को ले गई। मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
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सब इंस्पेक्टर अखिलेश पांडे, थाना प्रभारी रौनापार पुलिस स्टेशन, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश।
पालोना का पक्ष
ये राहत की बात है कि चींटियों ने लाडो बिटिया को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाया। उत्तर प्रदेश देश के उन कुछ राज्यों में हैं, जहां आज भी नवजात शिशु की हत्या के इन प्रयासों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। न ही इन मामलों में UP POLICE FIR दर्ज करती है। ये निंदनीय है।
- पुलिस को इस मामले में IPC 317, 307 AND JJ ACT SECTION 75 के तहत एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। ये ध्यान रखना होगा कि नवजात शिशुओं की हत्या के लिए किसी हथियार की जरूरत नहीं पड़ती। उन्हें कहीं असुरक्षित अस्वास्थ्यकर निर्जन स्थान पर छोड़ देना ही उनकी जान लेने के लिए काफी है।
- यूपी पुलिस अपने पुलिस ऑफिसर्स के लिए ट्रेनिंग सेशन आयोजित करें।
- एक पहल योगी सरकार के बाल संरक्षण विभाग को भी करने की जरूरत है। वर्ष 2017 में केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों में सार्वजनिक स्थलों पर पालने (CRADLES) लगाने का निर्देश जारी किया गया था। उत्तर प्रदेश में ये पालने आज भी लगने के इंतजार में है। अगर इन पालनों को लगाकर उनका सही ढंग से प्रचार प्रसार किया जाए तो शिशु हत्या और परित्याग की घटनाओं को रोकने में काफी मदद मिल सकती है।
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