वह शायद कुछ ही घंटो या एक दिन पहले जन्मी थी कि उसे प्लास्टिक के बोरे में बांध कर एक गड्ढे में फेंक दिया गया। इसमें कोई शक नहीं कि उनका इरादा उसे मारने का था और वे अपने इरादे में कामयाब रहे। एक अबोध जीवन के हत्यारे सफल हो गए और हमारा सिस्टम उस जीवन को बचाने में विफल रहा। लेकिन क्या वह उस मासूम को न्याय दिला पाने में सफल होगा, बड़ा सवाल अब यही है। घटना आरा के जगदीशपुर थानाक्षेत्र के इसाढ़ी बाजार से सटे विमवां हैलीपेड के पास बुधवार की सुबह घटी।
अपने खेतों में गेहूं काटने गए कितापुर गाँव निवासी धीरज कुमार व टुल्लू जी को सुबह-सुबह सुनसान जगह पर एक छोटी बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। अगल-बगल खोजने के बाद खेत के नजदीक स्थित हैलीपैड के पास गड्ढे में एक नवजात बच्ची जिंदा हालत में प्लास्टिक के बोरे में बंद मिली, जो शायद कुछ ही घंटों पहले पैदा हुई थी। सुबह के छह-सात बजे का समय रहा होगा, जब इस घटना ने इलाके में एकाएक सनसनी फैला दी। वहां भीड़ इकट्ठा होने लगी।
बच्ची को तुरंत बोरे से निकालकर ग्रामीणों द्वारा इसाढ़ी बाजार स्थित एक निजी क्लीनिक में ले जाया गया। स्थानीय मुखिया पति मदन सिंह कुशवाहा और जगदीशपुर थानाध्यक्ष को भी घटना की सूचना दी गई। इसी दौरान एक निस्संतान दंपत्ति ने उस बच्ची के पालन पोषण करने की इच्छा जाहिर कर दी। राम ईश्वर सिंह एवं उनकी पत्नी आशा देवी हरनाहीं गांव के रहने वाले थे और खेती बाड़ी का काम करते थे।
लेकिन न उनके सपने परवान चढ़ सके और न ही बच्ची को बचाया जा सके। बच्ची को बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल, आरा रेफर किया गया था। सुबह 10-10.30 बजे के करीब जब तक ग्रामीण उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे, बच्ची की मौत हो चुकी थी।
जन्म के बाद बेहद असुरक्षित और अस्वास्थ्यकर हालातों में मिलने वाले इन बच्चों को तुरंत मेडिकल केयर की जरूरत होती है। आरा बाल कल्याण समिति की सदस्य श्रीमती सुनीता सिंह का भी यही कहना था कि यदि बच्ची को वक्त रहते मेडिकल केयर मिल जाती, उसे वक्त पर अस्पताल ले आते, तो वह बच्ची बच सकती थी।
बच्ची को तो वापिस नहीं लाया जा सकता, लेकिन यदि हम उसके दोषियों को पकड़ पाए, उन्हें सजा दिला पाएं तो यह भी बहुत महत्वपूर्ण होगा। इसके दो फायदे होंगे, एक तो बच्ची को न्याय मिलेगा और दूसरा समाज में घुले-मिले उसके हत्यारों की शिनाख्त हो सकेगी, जिससे भविष्य में उनके द्वारा ऐसी किसी भी घटना की पुनरावृत्ति की आशंका ही खत्म हो जाएगी। लेकिन क्या हम उसे न्याय दिला पाएंगे…
04 अप्रैल 2018 आरा, बिहार (F)