चंडीगढ़ में फॉरेस्ट एरिया में एक नवजात बच्ची को दफनाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। बच्ची के शरीर पर नमक का लेप लगा होना और उसे वहां दफनाने वाले पुलिसवालों के रवैये ने मामले की गंभीरता को बढ़ा दिया है।
स्थानीय पत्रकार विक्रम जीत सिंह के मुताबिक, बुधवार की शाम वह सुखना झील के किनारे जंगल वाले इलाके में घूम रहे थे। उन्हें बर्ड्स वॉच का शौक है और इसी सिलसिले में वह वहां मौजूद थे कि उनकी नजर कुछ लोगों पर पड़ी। वे जमीन खोद रहे थे। उन्हें कुछ ठीक नहीं लगा तो उन्होंने तुरंत फॉरेस्ट गार्ड्स को इसकी सूचना दी और मामला पता करने को कहा। जब गार्ड्स जमीन खोद रहे लोगों के पास जानकारी लेने पहुंचे तो उन्हें मामले से दूर रहने को कहा गया। यह भी आरोप है कि उन्होंने खुद को पुलिस विभाग का बता गार्ड्स को धमकियां भी दीं। यह 21 तारीख की शाम पांच-साढ़े पांच बजे के आस-पास का वक्त था।
इसे संदिग्ध जानकर श्री सिंह ने शहर की एसएसपी को फोन कर दिया, जिन्होंने एक पुलिस टीम को घटनास्थल भेज दिया। श्री सिंह उस टीम और फॉरेस्ट गार्ड्स के साथ रात करीब साढ़े आठ बजे उस गड्ढे को ढूंढने में कामयाब रहे, जहां बच्ची को दफनाया गया था। यह बर्ड वॉच के पास एक ताजा खोदा गया करीब 2.5 फीट का गड्ढा था। बच्ची को वहां से निकालकर उसका पोस्टमार्टम करवाया गया है। सुखना पुलिस चौकी स्टाफ ने दोनों पक्षों के बयान दर्ज कर लिए हैं। तफ्तीश के दौरान बच्चे का जन्म कराने वाले डॉक्टर ने जांच टीम को बताया कि बच्ची की मौत कोख में ही हो गई थी, यानी उनके मुताबिक यह स्टिलबर्थ का केस है।
घटना के अगले दिन फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के श्री टीसी नौटियाल ने एसएसपी को पत्र लिखकर दोषिय़ों के खिलाफ इंडियन फॉरेस्ट कन्जर्वेशन एक्ट 1927 के सेक्शन 26 की धाराओं को भी शामिल करने का अनुरोध किया, जो इस तरह के मामले में एप्लीकेबल हों। हालांकि एसएसपी ने इस तरह के किसी भी पत्र के मिलने से इनकार किया है।
श्री सिंह के मुताबिक, बच्ची को दफनाने के लिए उस दिन सात लोग दो एसयूवी में आए थे। गार्ड्स ने मारुटी ब्रेजा (CH-01BN 4347)और फॉर्ड एन्डेवर (HR-70-C 8231) का नंबर नोट कर लिया था।
वह शक जताते हुए कहते हैं कि बच्ची शायद हेड कांस्टेबल दर्शन सिंह की पोती नहीं, बेटी थी, जो किसी अमान्य रिश्ते से जन्मी थी। इसीलिए उसे मार कर दफना दिया गया। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने स्तर से हेड कांस्टेबल के बारे में पता किया है और उनके बार में उन्हें अच्छी रिपोर्ट नहीं मिली है।
वह इस मसले को लेकर एसएसपी नीलाम्बरी जगदाले से भी व्यक्तिगत रूप से मिले और मामले की जांच करवाने की बात कही। इस दौरान एरिया डीएसपी भी वहां मौजूद थे। जैसे ही उन्होंने बच्ची का डीएनए सैंपल लेने की बात कही, आमतौर पर शांत रहने वाले वह डीएसपी उखड़ गए और काफी उग्र हो गए, जैसा कि श्री विक्रम जीत सिंह ने पा-लो ना को बताया।
जब हमने बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती हरजिंदर कौर से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मामले में जांच अभी चल रही है।
21 फरवरी 2018 चंडीगढ़, पंजाब (F)