क्या हुआ –
गुरुवार तड़के 4.16- 4.18 के बीच एक लड़की कैथल के डोगरा गेट समीप नाले में एक पॉलीथिन
फेंकती हुई नजर आई। ऐसा करते हुए वह निकटवर्ती सीसीटीवी में कैद हो गई। उसके जाने के
कुछ मिनट बाद तीन कुत्ते उस ओर लपके और पॉलीथिन को 04 बजकर 27 मिनट पर नाले में से
निकाल लाए। उन्होंने पॉलीथिन को फाड़ डाला और बच्ची को बाहर निकाल लिया। इसके बाद एक
सफेद रंग की कुतिया बच्ची की रक्षा करने लगी।
वहां से गुजर रही महिला करनैलो देवी का ध्यान बच्ची के रोने की तरफ गया तो उन्होंने
नाले के सामने मौजूद कोठी का दरवाया खटखटाया। वहां रहने वाले मुख्तियार सिंह बाहर आए।
उन्हें कुत्तों से घिरी बच्ची नजर आई। ये वही कुत्ते थे, जिन्हें मुख्तियार सिंह रोज
बिस्किट्स खिलाते थे। इसलिए कुत्तों ने वफादारी निभाते हुए बच्ची को लाकर उनके दरवाजे
के पास रख दिया और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। जल्दी ही वहां लोगों की भीड़ लग गई।
उस बच्ची को कपडे में लपेट दिया गया और पुलिस को सूचना दे दी गई। इससे पूर्व भी वहां से
गुजरे तीन-चार लोगों ने न तो बच्ची और न ही कुत्तों के भौंकने पर कोई ध्यान दिया।
मुख्तियार सिंह ने पालोना को बताया कि काफी देर तक पुलिस के नहीं आऩे पर वह खुद सिटी
थाने गए और वहां से पुलिस को लेकर लौटे। इसके बाद बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया
गया। उसके सिर पर घाव था और स्थिति क्रिटिकल बनी हुई थी। थोड़ा स्थिर होने पर बेहतर
इलाज के लिए बच्ची को पीजीआई चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया।
सरकारी पक्ष –
सीडब्लूसी कैथल की सदस्य श्रीमती रितु सिंगला ने पालोना को बताया कि कुत्तों ने बच्ची
की जान बचा ली। यदि वे उसे नाले में से नहीं निकालते तो उसकी मौत निश्चित थी। उन्होंने
लोगों से अपील की है कि वे नवजात शिशुओं को अपने पास नहीं रखना चाहते तो सीडब्लूसी के
जरिए सरकार को सरेंडर कर दें, ताकि उन्हें एक अच्छा परिवार मिल सके। कैथल सीडब्लूसी ने
बच्ची की जान बचाने वाले मुख्तियार सिंह और करनैलो देवी को सम्मानित भी किया।
वहीं, एसएचओ सिटी श्री प्रदीप कुमार ने पालोना को बताया कि इस मामले में आईपीसी सेक्शन
317 के तहत केस दर्ज कर लिया गया है और सीसीटीवी फुटेज के सहारे दोषी लड़की की खोजबीन
की जा रही है।
पा-लो ना का पक्ष –
पालोना को घटना की जानकारी स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट श्री राकेश रंजन से मिली। घटना की
डिटेल्स और सीसीटीवी फुटेज स्तब्ध करने वाला है। इसे देखने से लगता है कि बच्ची को नाले
में डालने वाली लड़की 20 से 30 वर्ष के बीच की है।
पालोना को ये भी महसूस हुआ कि इन बच्चों को लेकर लोग बहुत जागरुक नहीं है। यही वजह है
कि नाले से निकली बच्ची को बजाय तुरंत अस्पताल ले जाने के, उन्होंने पुलिस को पहले
सूचना देना जरूरी समझा। फिर पुलिस ने आने में देर की, जिससे बच्ची को इलाज मिलने में एक
से डेढ़ घंटे की देरी हुई, वो भी ऐसे समय में जबकि उसके लिए एक एक मिनट कीमती था।
पालोना ने सिटी थाना पुलिस को इस केस में लगने वाले आईपीसी के अन्य सेक्शंस की भी
जानकारी दी और उनसे अपील की कि आईपीसी 307 और जेजे एक्ट 75 को भी एफआईआर में शामिल किया
जाए।
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18 July, 2019 Kaithal, Haryana (F, A)