वह खेत में मिला। संभवतः जन्म ही वहां हुआ था उसका। चींटियां उसके शरीर के चारों तरफ लिपटी हुईं थीं। उसके शरीर पर जन्मतः लगे खून ने जैसे आमंत्रण दे दिया था उन्हें। लेकिन इससे पहले कि वे कुछ नुकसान पहुंचा पाती, लोगों की निगाह शिशु पर पड़ गई और उसे बचा लिया गया। ये घटना सारण के दिधवारा थाना क्षेत्र के त्रिलोकचक देवी स्थान के पीछे रविवार सुबह घटी।
स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी की सुश्री श्वेता द्वारा सूचना मिलने के बाद टीम पा-लो ना ने सीपीओ सारण श्री सुधीर से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि बच्चे का जन्म उसी खेत में हुआ था शायद, जहां वह मिला। उस पर खून भी लगा हुआ था, जिस पर चींटियां चिपटी हुईं थीं। जब लोगों की नजर उस पर पड़ी तो इस बात की सूचना तुरंत ही आस पास के इलाके में फैल गई और वहां लोगों की भीड़ लग गई। मौके पर ही त्रिलोकचक निवासी सीआरपीएफ के जवान अलख हाजरा की इच्छा पर नवजात शिशु को उन्हें सौंप दिया गया। मुखिया सुधीर सिंह भी उस वक्त वहां मौजूद थे। हाजरा को पहले ही चार बेटियां थीं, इसलिए वह उस लड़के को अपनाना चाहते थे।
शाम को जैसे ही ये सूचना सीपीओ और सीडब्लूसी को मिली, एक टीम तुरंत ही घटनास्थल की ओर रवाना हो गई। इस टीम में सीडब्लूसी चेयरपर्सन अरुण कुमार सिंह, सा समन्वयक श्वेता कुमारी, सीपीओ सुधीर कुमार तथा एहसानुल हक शामिल थे। गांव में पहुंचने पर उन्हें लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। कोई भी व्यक्ति बच्चे को उन्हें सौंपने के हक में नहीं था।
ग्रामीणों का कहना था कि यदि वे बच्चे को अपने पास रख ही नहीं सकते तो फिर वे उसे बचाएंगे क्यों। बच्चे को वहीं पड़ा रहने देंगे। तब टीम को पुलिस फोर्स बुलानी पड़ी। करीब चार-पांच घंटे की मशक्कत के बाद अंततः रात 11 बजे के आस-पास वे लोग बच्चे को लेने में कामयाब रहे। रात में ही लाकर उसे डॉक्टर को दिखाया गया। बच्चा स्वस्थ है, इसीलिए उसे स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी भेज दिया गया है।
पा-लो ना इसी बात से डरती है, जो ग्रामीणों ने गांव गए चाईल्ड एक्टिविस्ट्स को कही। यदि लोगों ने बच्चों को उठाना बंद कर दिया, उन्हें बचाया कैसे जाएगा। इसीलिए हम बार-बार ये अपील करते हैं कि एडॉप्शन नियमों में बदलाव किया जाए। जो लोग इन बच्चों को बचाते हैं, उनके प्रति सिस्टम को सहानुभूतिपूर्वक और संवेदनशील होकर विचार करना होगा। उन्हें बच्चा पालने का अधिकार देना ही होगा। सिस्टम ये मॉनिटरिंग कर सकता है कि बच्चे का लालन-पालन ठीक से हो, उन्हें फैसिलिटेट भी कर सकता है, लेकिन अगर वह जोर जबरदस्ती करेगा, इन्हें रोकेगा तो इन बच्चों को बचाना मुश्किल हो जाएगा। इस ओर भी सिस्टम को ध्यान देना ही होगा।
01 जुलाई 2018 सारण, बिहार (M)