जोहड़ के किनारे एक नवजात बच्ची के शव का मिलना उस गांव के लिए अप्रत्याशित था, मगर उन्होंने वह गलती नहीं की, जो अकसर ऐसे
मामलों में कर दी जाती है। उन्होंने शव को दफनाया नहीं, बल्कि पुलिस को इसकी सूचना दी, जिसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया
गया। घटना गुरुवार को चरखी दादरी के गांव बेरला में घटी। वहां जोहड़ किनारे एक नवजात बच्ची का शव मिलने पर ग्रामीणों ने गांव के सरपंच
जगत सिंह को इसकी सूचना दी। जगत सिंह न सिर्फ खुद मौके पर पहुंचे, बल्कि बाढड़ा उपमंडल थाने को भी घटना की जानकारी दी। पुलिस ने
नवजात के शव को तुरंत दादरी सिविल अस्पताल पहुंचाया, जहां से पोस्टमार्टम के लिए उसे रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया गया। पंजाब केसरी
में छपी खबर के मुताबिक बच्ची का शव रुई और कपड़े में लिपटा था। पुलिस कहती है कि वह पूरे 9 माह का था। पुलिस ने इस मामले की
जांच शुरू कर दी है। सरपंच ने अपने स्तर पर भी इस मामले में कई क्लीनिक्स में पूछताछ की, मगर कोई जानकारी नहीं मिल सकी। पा-लो ना
के जरिए हम कुछ बातें मीडिया को भी समझा रहे हैं कि पूरी तरह से विकसित बच्चा, भ्रूण नहीं कहलाता। जानकारी के अभाव में पत्रकार भी
शिशु शव को भ्रूण समझने की भूल कर बैठते हैं। उन्हें इसके अंतर को समझना और उसी के अनुसार अपनी रिपोर्ट तैयार करना जरूरी है,
क्योंकि उनकी रिपोर्ट्स समाज और सरकार को दिशा देने वाली होती है। दूसरी बात, नवजात शिशु के शव के मिलने में अकसर नर्सिंग होम्स
या डॉक्टर्स की कोई खास भूमिका नहीं होती है। इसके कई अन्य कारण हो सकते हैं, मगर उनका अकसर मेडिकल प्रेक्टिशनर्स से सीधा संबंध नहीं होता।
04 जनवरी 2018 चरखी दादरी, हरियाणा (F)