एक बच्ची, जिसे दफनाने की तैयारी चल रही थी, जिसके मरने की खबर तक न्यूज चैनल पर चल चुकी थी, केवल एक अधिकारी की सतर्कता और संवेदनशीलता की वजह से उसे नया जीवन मिल गया, वरना जो सांसे बोरे में नहीं घुटी, वह जमीन में जरूर दफ्न हो जाती। घटना वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर तेंदु पुल के पास घटी।
यह मंगलवार की दोपहर थी, जब रॉबर्ट्सगंज थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत हिंदुवारी-तेंदू पुल के नीचे, वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग के किनारे पड़े एक बोरे ने लोगों का ध्यान खींचा। जब उसे खोला गया, तो उसमें से एक नवजात बच्ची मिली। बच्ची में कोई हरकत नहीं हो रही थी। लोगों ने 100 नंबर डायल कर पुलिस को बुला लिया। पुलिस वहां पहुंची और बच्ची को निष्प्राण देख उसे स्थानीय लोगों को ही दफनाने को कह दिया।
घटनास्थल पर मौजूद किसी व्यक्ति ने बाल संरक्षण अधिकारी श्री सत्येंद्र गुप्ता को फोन किया और मृत बच्ची के मिलने की जानकारी दी। श्री गुप्ता ने उनसे रिक्वेस्ट की कि वह उनकी बात उस व्यक्ति से करवाए, जिसके पास बच्ची है। उस व्यक्ति से फोन पर उन्होंने कहा कि बच्ची को जिला संयुक्त चिकित्सालय ले जाएं, क्योंकि बच्ची जिंदा है या नहीं, यह डॉक्टर तय करेंगे। उनके इसरार करने पर लोग बच्ची को चिकित्सालय ले गए। इस दौरान बच्ची के मुंह से न कोई आवाज निकली, न शरीर में हलचल हुई, लेकिन जैसे ही डॉक्टर ने उसे दवा देने के लिए इंजेक्शन लगाया, बच्ची चिहुंक पड़ी। अब ये स्पष्ट था कि बच्ची में प्राण बाकी हैं। इसके बाद उसे वहां एडमिट कर लिया गया।
इस संबंध में श्री सत्येंद्र गुप्ता ने पा-लो ना को बताया कि बच्ची को शायद 12 तारीख की रात किसी ने वहां फेंका होगा और रोते-रोते बच्ची बेदम हो गई होगी। लेकिन अब वह स्वस्थ है। और उसे शिशुगृह भेज दिया गया है। घटनास्थल पर मौजूद हर व्यक्ति, यहां तक कि पुलिस ने भी ये कैसे मान लिया था कि बच्ची जिंदा नहीं है, क्या किसी ने उसकी नब्ज चैक नहीं की थी, इस सवाल का जवाब श्री गुप्ता के पास नहीं मिला, क्योंकि वह स्वयं घटनास्थल पर नहीं थे। पर ये हकीकत है कि यदि उन्होंने संवेदनशीलता नहीं दिखाई होती, अगर फोन पर ग्रामीणों की कही बातों को ही उन्होंने भी सच मान लिया होता, यदि विशेष प्रयत्न नहीं किया होता, तो ये बच्ची आज जिंदा नहीं होती। श्री गुप्ता की जितनी भी सराहना की जाए, कम है। ऐसे अधिकारी को सरकार और समाज द्वारा सम्मानित किया जाना चाहिए, ताकि बाकी लोग भी उनसे प्रेरणा ले सकें।
13 फरवरी 2018 सोनभद्र, उत्तर प्रदेश (F)