झारखंड में 6 साल में कम से कम 365 बच्चों को जन्म के बाद उन्हें जन्म देने वालों ने और उनके परिजनों ने फेंक दिया. इनमें से 209 बच्चों की मौत हो गयी. स्थानीय लोगों, सामाजिक संगठनों और प्रशासन की मदद से 159 बच्चों की जान बच गयी. इनमें बेटे और बेटियां दोनों हैं. परित्याग का शिकार हुए ऐसे बच्चों की संख्या इससे कहीं अधिक है, लेकिन रिकॉर्ड में अब तक इतने ही मामले सामने आये हैं.