सुबह छह बजे का वक्त रहा होगा, जब एक बच्चे की निगाह बांस की झाड़ियों के अंदर मौजूद एक नवजात शिशु पर पड़ी। शिशु बिल्कुल अकेला था, आस-पास कोई नहीं। शरीर पर कपड़ा नहीं, गर्भनाल भी साथ ही लगी थीं, चींटियां लिपटी हुईं थीं। शिशु लगातार रो रहा था और इसी आवाज ने उस बच्चे को वहां खींचलिया था। घटना पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा स्थित रासी टोला में गुरुवार सुबह घटी।
चाईल्ड एक्टिविस्ट डॉ. प्रभाकर ने पा-लो ना को घटना की जानकारी दी, जिसकी पुष्टि पाकुड़ सीडब्लूसी श्री विनोद प्रमाणिक ने भी की। श्री विनोद ने पा-लो ना को बताया कि बच्चे को सुबह चार से पांच बजे के बीच ही छोड़ा गया होगा। छह बजे के करीब एक दूसरे बच्चे की निगाह उस पर पड़ी और सात बजते-बजते शिशु को अस्पताल में एडमिट करवा दिया गया। अस्पताल शिशु मिलने की जगह से पांच मिनट की दूरी पर ही स्थित है। डॉक्टर के मुताबिक शिशु का वजन ढाई किलो है।
पा-लो ना ने श्री प्रमाणिक से बच्चे के घावों के बारे में पूछा, जो चींटियों और कीड़ों के काटने से हुए थे। डर था कि कहीं ये घाव उसके लिए प्राणघातक नहीं सिद्ध हों। लेकिन श्री प्रमाणिक द्वारा ये बताए जाने के बाद कि बच्चे के सभी टेस्ट हो गए हैं, और सभी रिपोर्ट्स नॉर्मल हैं, पा-लो ना थोड़ा आश्वस्त है।
इस घटना की एफआईआर दर्ज करने की भी अपील की गई है। हालांकि डीसीपीओ पाकुड़ ने एक ग्रुप में ये सूचना दी थी कि इसकी एफआईआर दर्ज हो गई है, लेकिन पा-लो ना द्वारा जांच में ये बात सामने आई कि पुलिस ने केवल जीडी में इसे दर्ज किया है। पुलिस अधिकारी असमंजस में हैं कि इस मामले को कैसे दर्ज किया जाए। तब पा-लो ना द्वारा सीडब्लूसी पाकुड़ को एफआईआर की कॉपी मुहैया करवाई गई, जो ऐसे ही एक मामले में रांची में दर्ज की गई थी। पा-लो ना उम्मीद करती है कि इसके बाद पाकुड़ में भी इन घटनाओं की एफआईआर दर्ज होने की परिपाटी शुरू हो सकेगी। बच्चे को फिलहाल स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी के सुपुर्द कर दिया गया है।
08 नवंबर 2018 पाकुड़, झारखंड (M)