एक नन्ही बच्ची एक प्लास्टिक के थैले में बंद झाड़ियों में पड़ी रो रही थी, जब किसी ने उसे देखा। सुबह का वक्त था और बच्ची बिल्कुल अकेली थी। उसके शरीर के जख्मों से खून रिस रहा था। ये जख्म उसे कांटों से लगे थे। घटना गुरुवार को राजस्थान के चूरु स्थित सुजानगढ़ में चांदबांस मुहल्ले में घटी।
घटना की जानकारी देते हुए चुरू के युवा समाजसेवी राज कटाला सांडवा ने पा-लो ना को बताया कि उन्हें इस घटना की जानकारी एक दोस्त से मिली थी, जिसके मुताबिक बच्ची एक खाली पड़ी जमीन पर छोड़ी गई थी। उसके रोने की आवाज वहां से गुजर रहे ताराचंद नामक व्यक्ति ने सुनी। उसने बच्ची को पॉलिीथिन से निकाला और एक कपड़े में लपेट कर अस्पताल ले गया। तब तक सुबह के 11 बज चुके थे।
डॉक्टर राजेश व उनके साथियों ने तुरंत उसका उपचार शुरू कर दिया। उनके मुताबिक बच्ची का जन्म चंद घंटे पूर्व ही हुआ प्रतीत होता है और उसका वजन करीब है पौने दो किलो है। बच्ची फिलहाल अस्पताल में ही है।
पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है।
पा-लो ना को लगता है कि बच्ची को जन्म के तुरंत बाद ही छोड़ दिया गया होगा। लेकिन यदि छोड़ने वाले ने थोड़ी सावधानी बरती होती और उसे किसी को सुरक्षित सौंप दिया होता या किसी सुरक्षित जगह ही छोड़ा होता तो बच्ची को जन्म लेते ही इस यंत्रणा से नहीं गुजरना पड़ता।
ये अफसोस की बात है कि सरकार और प्रशासन का ध्यान लोगों को जागरुक करने की तरफ नहीं है। जागरुकता की यही कमी इन बच्चों की जान की दुश्मन बन रही है। इसलिए पा-लो ना बार-बार सबसे यही अपील करती है कि इन बच्चों को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा जागरुकता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए।
22 नवंबर 2018 चुरू, राजस्थान (F)