ठंड इतनी ज्यादा थी कि हड्डियां कड़कड़ा रहीं थीं। ऐसे में जब उस चौकीदार को एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी तो पहलेपहल उन्होंने सोचा कि कोई बिल्ली का बच्चा होगा। लेकिन जब आवाज बंद नहीं हुई तो वे आवाज की दिशा में बढ़े और उतनी ठंड में कंबलों में लिपटी एक नवजात बच्ची को वहां निपट अकेला देख हैरान रह गए। घटना रविवार देर रात राजस्थान के झुंझनू स्थित मुकुंदगढ़ थाना इलाके के घोड़ीवारा बालाजी मंदिर के बाहर घटी।
संवेदनशील महिला श्रीमती मीरा गर्ग ने घटना की जानकारी पा-लो ना को दी। इस खबर को स्थानीय मीडिया ने भी काफी तवज्जो दी है। इस जानकारी के मुताबिक, उस सर्द रात में करीब दो बजे मंदिर के चौकीदार श्री जगदीश सिंह को एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। जब वे बाहर आए तो उन्हें मंदिर के बाहर प्याऊ के पास चबूतरे पर कंबल में लिपटी रोती बच्ची मिली। उनके शोर मचाने पर तुरंत ही वहां नजदीक स्थित होटल के कर्मचारी, उसके ग्राहक और उनका भतीजा विक्रम सिंह भी आ पहुंचा। उन्होंने मुकुंदगढ़ पुलिस को बच्ची की जानकारी दी, लेकिन पुलिस काफी देर तक भी वहां नहीं पहुंची। बहुत देर तक टाल-मटोल करने के बाद भी जब पुलिस वहां नहीं पहुंची तो श्री जगदीश उस होटल के संचालक की गाड़ी में बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंचे। यहां से एंबुलेंस के जरिए बच्ची को झुंझनू के बीडीके अस्पताल भेज दिया गया।
इस बात को लेकर स्थानीय लोगों से लेकर मीडिया में भी बहुत रोष है। आखिर ये एक बच्ची के जीवन-मरण का सवाल था। हालांकि पुलिस बाद में घटनास्थल पर पहुंची, लेकिन तब तक बच्ची को अस्पताल पहुंचाया जा चुका था। बच्ची वह पूरी तरह मेच्योर है और उसका वजन करीब तीन किलो है। डॉक्टर के मुताबिक, बच्ची को जन्मे ज्यादा वक्त नहीं गुजरा है। ये भी आशंका है कि उसका जन्म किसी अस्पताल में न होकर घर में ही हुआ है, क्योंकि बच्ची के सिर पर सूजन है।
डॉक्टर वीडी बाजिया बच्ची को स्वस्थ तो मान रहे हैं, लेकिन खतरे से बाहर नहीं। कड़कड़ाती ठंड और मां से दूरी ने बच्ची को काफी नुकसान पहुंचाया है। जन्म के तुरंत बाद त्याग दी गई बच्ची ठंड से नीली पड़ गई थी। उसकी स्थिति बहुत क्रिटिकल थी और उसे सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी। उसके मुंह और पेट में मल व गंदा पानी चला गया था। जिस वक्त बच्ची मिली, उस वक्त समीपवर्ती पिलानी का तापमान मात्र छह डिग्री और फतेहपुर का तो केवल 1.8 डिग्री था। इतनी सर्द रात में बच्ची को खुद से दूर करने का साहस किसने किया होगा, ये जांच का भी सवाल है और इस घटना से परिजनों की ममता पर भी प्रश्नचिह्न लगता है।
जिला उपायुक्त श्री दिनेश कुमार यादव ने मंगलवार को अपने आवास पर इस संबंध में एक प्रेस वार्ता की और मीडिया के जरिए लोगों से बच्चों को यहां वहां नहीं छोड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस बच्ची के परिजनों का पता बताने वाले को 25 हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा। उन्होंने इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के सहायक निदेशक विप्लव न्यौला का मोबाइल नंबर 9414541593 भी शेयर किया।
पा-लो ना को लगता है कि बच्ची को बेशक दो-दो कंबल में लपेट कर वहां रखा गया था, लेकिन इतनी ठंड में अपनी ऊष्मा से भी उसे वंचित कर खुले में उसे छोड़ना उसके प्राणों को संकट में डालने के ही समान था। इस मामले में बाकायादा जांच पड़ताल कर बच्ची के परिजनों को ढूंढना चाहिए। उन्हें उनके अपराध का बोध करवाना बहुत जरूरी है, ताकि आगे वे किसी बच्चे के साथ ऐसा न कर सकें।
24 दिसंबर 2018 झुंझनू, राजस्थान (F)