वह अपने पिता के हाथों में मौजूद कैरीबैग में बंद थी और उल्टियां कर रही थी। उस पिता के हाथों में, जो उसे बेचने निकला था। पिता, जो मानसिक रूप से स्वस्थ है और एक अच्छे स्टोर में काम करता है। लेकिन क्या वह सचमुच मानसिक रूप से स्वस्थ है, ये सवाल जरूर उठेगा, जब ये पूरी घटना पढ़ेंगे, जो सिविल अस्पताल, फेज 06, मोहाली की एमरजेंसी में मंगलवार रात 10 बजे के करीब घटी।
एक संवेदनशील नागरिक श्री विक्रम सिंह कटारिया से इस घटना की जानकारी मिलने के बाद जब पा-लो ना टीम ने चंडीगढ़ के सीनियर जर्नलिस्ट दीपकमल सहारन और मोहाली के एसएचओ श्री नवीन पाल सिंह से संपर्क किया तो इस हैरतंगेज घटना का विवरण जानकर स्तब्ध रह गए। घटना इस प्रकार है-
मंगलवार रात एक व्यक्ति मोहाली के सिविल अस्पताल में जाकर डॉक्टर से बोला कि वह अपने बच्चे को बेचना चाहता है। डॉक्टर के ये पूछने पर कि बच्चा कहां है, उसने एक पॉलीथिन उनके सामने कर दिया। इसी कैरीबैग में वह बच्ची थी, जो कुछ ही घंटों पहले जन्मी थी। ये व्यक्ति और कोई नहीं, बच्ची का पिता जसपाल सिंह था, जो मोहाली के पास बल्लोमाजरा गांव में गुरुद्वारा के नजदीक रहता था, लेकिन मूल रूप से वह अमृतसर के बिखीपिंडी गांव का निवासी है।
जसपाल ने डॉक्टर को बताया कि उनके पहले से दो बेटे हैं, जो 05 व 10 साल के हैं, इसलिए वह अपने तीसरे बच्चे को बेचना चाहता है, जो उसी दिन दोपहर करीब दो बजे जन्मा है। उसके मुताबिक उसकी पत्नी की हालत खराब थी, इलाज के लिए उन्हें पैसे चाहिए थे। उसने सिविल अस्पताल से पहले एक निजी अस्पताल में बच्चे को बेचने का प्रयास किया था, जहां से उसे भगा दिया गया।
डॉक्टर ने पॉलीथिन में से बच्ची को बाहर निकाला, जो उल्टियां कर रहा थी। कोई केयर नहीं मिलने से उसकी हालत गंभीर थी। बच्ची को तुरंत मेडिकल हैल्प मुहैया करवाई गई। सिविल अस्पताल में डॉक्टर से मिलने से पहले जसपाल करीब एक घंटे तक लाइन में खड़ा रहा था और इस दौरान पॉलीथीन उसके हाथ में ही था।
डॉक्टर ने तुरंत पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने इंडियन पीनल कोड की धारा 317 तथा जेजे एक्ट 75 एवं 81 के तहत मामला दर्ज कर लिया है और जसपाल को गिरफ्तार भी कर लिया है। जांच अभी जारी है। जसपाल के मुताबिक वह वीआर मॉल के रिलायंस फ्रेश में लोडिंग का काम करता है। इसलिए उसके पास इतना बड़ा कैरीबैग था, जिसमें बच्ची को रखा जा सकता था।
टीम पा-लो ना मोहाली के सिविल अस्पताल के डॉक्टर और थाना प्रभारी नवीन पाल सिंह का धन्यवाद अदा करती है, जिनकी सक्रियता से एक बच्ची का जीवन तो बचाया ही गया, उसे बिकने से भी बचा लिया गया। ये कौन सी मानसिकता है, जो लोगों, या कहें कि माता-पिता को अपने ही बच्चों के खिलाफ अपराध करने के लिए उकसाती है। इस अजीब से मामले ने उन कारणों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, जो अकसर इन घटनाओं में तर्क की तरह प्रस्तुत किए जाते हैं। इस केस में परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक है, उनके पहले से दो बेटे भी हैं, और इस बार डिप्रेशन से गुजर रही मां नहीं, बल्कि एक पिता कठघरे में खड़ा है। एक बेटी को जन्मते ही उसे बेचने के लिए निकल पड़ने वाले, उसकी जान को खतरे में डाल देने वाले पिता के लिए किसी को भी सहानुभूति नहीं होनी चाहिए।
15 मई 2018 मोहाली, पंजाब (F)