सरसों के उस खेत से सरसों की भीनी-भीनी सुगंध ने नहीं, बल्कि एक बच्ची के रोने की आवाज ने ग्रामीणों का ध्यान खींचा। बच्ची को गोद में ले वे तुरंत सदर अस्पताल पहुंचे, लेकिन बच्ची को बचाया नहीं जा सका। घटना गोपालगंज के बरौली स्थित प्यारेपुर गांव के पास रविवार को घटी।
स्थानीय पत्रकार श्री संजय अभय ने बताया कि बच्ची को पाकर गांव की चंदा देवी, पत्नी अरुण कुमार गुप्ता काफी खुश थीं। वह बच्ची को पालने की ख्वाहिशमंद थी। आनन-फानन बच्ची को लेकर अस्पताल भी पहुंची। डॉक्टर ने उसे देखा और एसएनसीयू में भेज दिया। श्री अभय के मुताबिक, उसके बाद काफी देर तक किसी ने बच्ची को अटेंड नहीं किया। उनके इसरार पर जब तक डॉक्टर वहां पहुंचे, बच्ची ने दम तोड़ दिया था।
ये बहुत दुखद है कि समाज में कुछ संवेदनशील लोग इन बच्चों को बचाने का प्रयास तो करते हैं, लेकिन उन्हें उन लोगों का पर्याप्त सहयोग नहीं मिलता, जो बच्चों के लिए रक्षक की भूमिका में होते हैं। किसी भी बच्चे के लिए जन्म के तुरंद बाद का समय काफी क्रिटिकल होता है। इस समय उन्हें इन्फेक्शन लगने की सबसे ज्यादा आशंका होती है। गर्भ से निकालकर फेंक दिए गए बच्चों में ये सबसे ज्यादा मिलता है। इसलिए डॉक्टर्स को चाहिए कि ऐसा कोई भी मामला आऩे पर वह तुरंत बच्चे को अटेंड करें। ऐसा होने पर बच्चे के बचने के आसार बढ़ जाते हैं।
18 फरवरी 2018 गोपालगंज, बिहार (F)