उसकी मौत कोख में हो गई थी या वक्त से पहले हुई डिलीवरी ने उसकी जान ले ली, कहना मुश्किल है। लेकिन उसकी मौत ने कुछ सवाल जरूर छोड़ दिए कि आखिर उसे फेंक क्यों दिया जाता है, चाहे वह जिंदा हो या मृत। घटना कोटा के आर के पुरम थाना क्षेत्र में चावला सर्किल के निकट मंगलवार दोपहर को घटी।
पत्रकार श्री हंसपाल यादव और श्री गुल मुहम्मद ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से पा-लो ना को बताया कि चावला सर्किल पर एक सफेद रंग की कार से दो महिलाएं बाहर निकलीं और उन्होंने अपने हाथों में पकड़े पॉलिथीन को दूर उछाल दिया। इसके तुरंत बाद वे गाड़ी में वापस बैठ कर तेजी से फरार हो गईं। स्थानीय लोगों ने पास जाकर देखा तो ये एक नवजात बच्ची थी। डॉक्टर्स के मुताबिक, बच्ची की उम्र महज 18 से 22 महीने की है, जिसकी प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई है। पुलिस ने धारा 318 के तहत केस दर्ज कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
टीम पालोना का मानना है पुलिस द्वारा केस दर्ज करना दोषियों को पकड़ने का पहला पड़ाव है। टीम राजस्थान पुलिस का धन्यवाद अदा करती है कि वहां कम से कम इन घटनाओं को दर्ज तो किया जाता है। साथ ही आम जन से अपील करती है कि उनका शिशु जीवित हो या मृत, उसे कहीं भी नहीं फेंक दे। बल्कि उनके साथ सम्मान से पेश आएं। टीम सरकार से भी ये अपील करती है कि वह मृत नवजात शिशुओं के लिए विकल्प उपलब्ध करवाने पर ध्यान दें।
01 मई 2018 कोटा, राजस्थान (F)