क्या हुआ –
सदर अस्पताल के भारतीय पद्धति से बने शौचालय में शुक्रवार को एक नवजात बच्ची का शव
मिला। सुबह करीब साढ़े आठ बजे लोगों को बच्ची के शौचालय में होने की खबर मिली। देखते ही
देखते वहां लोगों का जमावड़ा लग गया। सदर पुलिस को सूचना भेजी गई। लावारिस शवों का
अंतिम संस्कार करने वाली संस्था मुर्दा कल्याण समिति के श्री खालिद भी घटनास्थल पर
पहुंचे और शव को ले गए। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि वह सीसीटीवी फुटेज और इंटरनल
जांच करवा रहे हैं। यह जानने की कोशिश हो रही है कि क्या बच्ची को अस्पताल में ही भर्ती
किसी महिला ने जन्म दिया है, या उसे बाहर से लाकर वहां डाला गया है। पालोना को घटना की
जानकारी सीनियर जर्नलिस्ट श्री प्रतीक व श्री उमेश प्रताप से मिली।
सरकारी व मीडिया पक्ष –
“बच्ची को टॉयलेट पैन में डाला गया था, जिससे इसकी हत्या
होने की आशंका प्रबल है। उसके पूरे शरीर पर खून लगा हुआ था। हमने थाना प्रभारी से केस
की बाबत पूछा तो उनका कहना था कि अस्पताल से लिखित शिकायत मिलने के बाद ही वह इसमें
एफआईआर दर्ज कर सकेंगे। ये एक बड़ा अपराध है, जिस पर कानूनी एक्शन जरूरी है” – श्री
संत
श्री उमेश प्रताप, पत्रकार हजारीबाग
“हम आज सीएम ड्यूटी में थे। अस्पताल से लिखित शिकायत नहीं
मिली है अभी तक, इसलिए केस दर्ज नहीं किया है। केस दर्ज करने के लिए जरूरी है ये पता
चलना कि बच्ची स्टिलबोर्न थी या उसकी हत्या हुई है। पोस्टमार्टम हुआ है या नहीं हुआ,
इसकी जानकारी नहीं है। हम बाकी स्टाफ से पूछ कर ही बता पाएंगे” – श्री नीरज कुमार,
थाना प्रभारी सदर, हजारीबाग
“हजारीबाग में लगातार ये घटनाएं हो रही हैं, जिनसे मानवता
शर्मसार होती है। हमें अस्पताल प्रबंधन ने सूचना भेजी थी, हमने आकर बच्ची को पैन से
निकाला। बच्ची पूरी तरह मेच्योर है और उसे इस तरह फंसा कर डाला गया था कि वह बह जाए। ये
हत्या लग रही है, क्योंकि बच्ची को बुरी तरह से उसमें ठूंसा गया था। हमने कई बार
अस्पताल प्रबंधन से कहा है कि वह अस्पताल में मृत बच्चों के अंतिम संस्कार के लिए एक
बोर्ड लगा दें ताकि कोई बच्चा मृत पैदा हो तो उसे कहीं भी न डाल दिया जाए। बच्चा भी
सम्मान का हकदार है” – श्री खालिद, मुर्दा कल्याण समिति
पा-लो ना का पक्ष –
बच्ची की तस्वीर और वीडियो क्लिप देखने के बाद यही आशंका होती है कि बच्ची की हत्या की
गई है। कुछ बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत है –
बच्ची के शरीर पर रक्त लगा था। यदि उसे कहीं बाहर से लाकर
वहां डाला गया है तो रक्त कुछ तो साफ हो जाना चाहिए था, वैसा हुआ नहीं, क्यों?
क्या टॉयलेट का मुआयना करने से ऐसा लगता है कि बच्ची का
जन्म उसी टॉयलेट में हुआ हो?
हत्या संबंधी किसी भी नतीजे पर पहुंचने के लिए बच्ची का
पोस्टमार्टम करवाना अत्यंत जरूरी है। सुबह शव मिलने के बावजूद पोस्टमार्टम क्यों नहीं
करवाया गया?
पुलिस के पास जानकारी थी, वह घटनास्थल पर पहुंची भी थी,
फिर कार्रवाई के लिए शिकायतकर्ता का इंतजार क्यों किया गया?
पालोना का मानना है कि इस मामले में आईपीसी 318 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस को
कार्रवाई शुरू कर देनी चाहिए और पोस्टमार्टम में हत्या की पुष्टि होने पर आईपीसी के
अन्य सेक्शन 315, 302, 34 (यदि एक से ज्यादा लोगों की संलिप्तता साबित हो जाती है तो)
और जेजे एक्ट 75 भी इसमें जुड़ने चाहिएँ।
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04 October, 2019 Hazaribagh, Jharkhand (F, D)