आप भी यही कहेंगे, जब इस तुरंत जन्मी गुड़िया सी बिटिया को कंटीली झाड़ियों से निकालने का रौंगटे खड़े करने वाला प्रकरण सुनेंगे-देखेंगे। आंखों में नमी आ जाएगी। दिल में दर्द की लहर उठेगी। मन करेगा, दौड़ कर बिटिया को अपनी बाहों में भर सीने से लगा लें। उसकी सारी तकलीफ, सारा दर्द हर लें।
पर ऐसा कर नहीं पाएंगे। बस मन मसोस कर रह जाएंगे। हां, एक बद्दुआ जरूर निकलेगी उनके लिए, जिन्होंने नन्ही जान का ऐसा हश्र किया।
कौन इतना नादां है? कौन इतना मासूम है? किसे नहीं मालूम कि नवजात बच्ची को बड़े-बड़े कांटों भरी झाड़ियों में डालना उसकी जान को जोखिम में डालना है। उनके इस कृत्य को किसी भी तर्क से सही नहीं ठहराया जा सकता।
यहां घटी घटना
ये मामला है राजस्थान के चुरु जिले का। पालोना को इस घटना की सूचना दिल्ली के सीनियर जर्नलिस्ट श्री दिवाकर वत्स से मिली। इसके बाद चुरु जिले के युवा एक्टिविस्ट श्री राज कटाला और उनके जरिए बच्ची को बचाने वाले शख्स श्री ओमप्रकाश हुड्डा से संपर्क किया गया। उन्होंने बताया कि सरदारशहर तहसील में पुनूसर गांव की झाड़ियों में सुबह सात-सवा सात के बीच नवजात बच्ची मिली।
किसने क्या कहा
मैं, श्री राजू और श्री हेमाराम खेत की तरफ जा रहे थे। रास्ते में झा़ड़ियों की बाड़ थी। उसी में से चीं-चीं की आवाज आ रही थी। उसमें झांककर देखा तो बच्ची नजर आई। बच्ची के शरीर पर नाम के लिए भी कोई कपड़ा नहीं था। उसकी गर्भनाल कटी हुई थी। बूंदाबांदी के कारण बच्ची गीली थी। उसके शरीर में डेढ़-दो इंच के कांटें गड़े हुए थे। शरीर पर सारी जगह खून लगा हुआ था। कुछ रक्त जन्म का था। कुछ कांटों के शरीर में चुभने से हुए घावों से निकल रहा था।
Sh Omprakash Hudda
शरीर में चुभे थे कांटे
बच्ची को बड़े जतन से झाड़ियों से निकाला गया। फिर उसके शरीर में चुभे कांटों को हमने निकाला। उसके बाद बच्ची को गांव में दूध की डेयरी पर ले गए। वहां उसे दूध पिलाने की कोशिश की। बच्ची के शरीर पर चींटियां नहीं थी। बच्ची से कुछ दूरी पर खून की दो-चार बूंदे भी मिलीं। ऐसा लगता है कि उसे किसी पॉलिथिन में डालकर वहां लाया गया हो और झाड़ियों में डाल दिया गया हो।
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इस बीच, पुलिस को सूचना दे दी गई थी। एक घंटे के अंदर पुलिस भी वहां आ गई। फिर पुलिस घटनास्थल पर चली गई। ग्राम पंचायत बायला के सरपंच बृजलाल ढाका, राजू व गांव के कुछ अन्य लोग बच्ची को सरदारशहर के अस्पताल ले गए। –श्री ओमप्रकाश हुड्डा, बच्ची को बचाने वाले शख्स, चुरू, राजस्थान।
जन्म लेने के बाद ही नवजात बच्ची को कांटों में फेंक दिया। 12 घंटे तक बच्ची को चींटियां काटती रही और वह खून से लथपथ दर्द से कहराती रही। रोने की आवाज सुनकर पहुंचे लोगों ने बच्ची को कांटों के बीच से निकाला और हॉस्पिटल पहुंचाया। मामला चूरू जिले के सरदारशहर का शनिवार सुबह का है।
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. चंद्रभान जांगिड़ ने बताया कि ‘बच्ची का जन्म 12 घंटे के अंदर ही हुआ है। कई जगह कांटे से घाव हो गए है। बच्ची बिल्कुल कोल्ड हो रही थी। बच्ची का वजन 2 किलो 100 ग्राम है। बच्ची की हालत के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। फिलहाल इलाज शुरू कर दिया है।’ – दैनिक भास्कर, स्थानीय मीडिया।
12 घंटे के अंदर हुआ है जन्म
गांव के लोगो ने बताया कि बच्ची की स्थिती देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्ची का जन्म शनिवार सुबह 3 से 4 के बीच में हुआ है। इस दौरान शरीर पूरा मिट्टी से सन गया। वहीं शरीर पर घाव हो गए।
सूचना पर एसआई रामप्रताप गोदारा, हैडकांस्टेबल सुरेंद्र कुमार स्वामी, कांस्टेबल महेंद्र शर्मा, मूलचंद मौके पर पहुंचे और बच्ची को कस्बे के राजकीय अस्पताल पहुंचाया। जहां पर अस्पताल प्रभारी शिशु रोग विशेषज्ञ डा.चंद्रभान जांगिड़ ने बच्ची का उपचार शुरू किया। अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों ने बच्ची को नहलाकर साफ किया।
डा.चंद्रभान जांगिड़ ने बताया कि बच्ची का पिछले 12 घंटे के अंदर जन्म हुआ है। बच्ची खुले में रहने के कारण से अस्वस्थ हो गई। बच्ची का एसएनसीयू वार्ड में उपचार शुरू किया गया। हालांकि बच्ची की हालत अभी गंभीर बनी हुई है। वही एसआई रामप्रताप गोदारा ने बताया कि एक ऐसा ही मामला 7 अप्रैल को मितासर गांव में सामने आया था। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बच्ची को कीचड़ में फेंकने वाले आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भिजवाया था। इस मामले में भी जल्द खुलासा कर दिया जाएगा कि बच्ची को झाडिय़ों में किसने फेंका।- पत्रिका डॉट कॉम, स्थानीय मीडिया।
देखें वीडियो और मिलें उस शख्स से, जिन्होंने इस बिटिया को बचाया