क्या हुआ –
नगर उंटारी ब्लॉक के महुली गांव में मक्का के एक खेत में गुरुवार रात नौ बजे के आस-पास
नवजात शिशु मिला। ग्रामीणों से मिली सूचना को स्थानीय पत्रकार श्रवण पासवान ने तत्काल
थाना प्रभारी नगर उंटारी पंकज तिवारी तक पहुंचाया। दोनों 15 मिनट के अंदर मौकास्थल पर
पहुंच गए। तब तक ग्रामीणों ने बच्चे को खेत से उठाकर एक शॉल में लपेट दिया था। थाना
प्रभारी उसे तत्काल अनुमंडल अस्पताल ले गए। वहां से अगले दिन सदर अस्पताल गढ़वा और फिर
निजी अस्पताल चाईल्ड केयर में बच्चे को रखा गया।
तीन दिन बाद पालोना की जानकारी में बच्चे के शरीर से कीड़े निकलने की बात आई। गढ़वा बाल
कल्याण समिति ने बताया कि बच्चा स्वस्थ है, लेकिन कीड़ों का ध्यान करते हुए पालोना ने
उनसे शिशु को बेहतर मेडिकल केयर दिलवाने की अपील की, जिस पर रविवार 08 सितंबर को शिशु
को रांची रैफर कर दिया गया। रांची लाने के क्रम में लातेहार में ही बच्चे की मृत्यु हो
गई।
पालोना को घटना की जानकारी पत्रकार श्री आशीष अग्रवाल से मिली। पालोना ने इस बच्चे को
बचाने वाले अन्य लोगों से बातचीत की तो शिशु के साथ क्रूरता की एक नई कहानी सामने आई।
सरकारी पक्ष –
“बच्चा जब मिला तो वह रिस्पॉंड नहीं कर रहा था। केवल उसकी
उंगली हिल रही थी। अस्पताल में केयर मिलने के बाद उसकी सांसें लौटीं” – पत्रकार श्रवण
पासवान
“रात का समय होने के कारण वहां काफी अंधेरा था। बच्चे के
साथ गर्भनाल भी लगी थी। उसे किसी कपड़े में भी नहीं लपेटा गया था। बच्चे के कान में और
शरीर के अन्य हिस्सों पर आटे जैसा सफेद पाउडर लगा हुआ था” – पंकज तिवारी, थाना
इंचार्ज
“बच्चे की नाक, मुंह और आंखों से धागे जैसे सफेद कीड़े
निकल रहे थे। बच्चे के शरीर से 50 से भी अधिक कीड़े निकले हैं। सबसे अधिक कीड़े उसकी
आंखों से निकल रहे थे। वह मात्र 800 ग्राम का और प्रि-मेच्योर था। शायद सातवें माह में
ही उसका जन्म हो गया था” – बच्चे का इलाज करने वाले डॉ कैशर आलम और नर्स संचारिया
तिग्गा
“बच्चा स्वस्थ है। सदर अस्पताल गढ़वा में उपयुक्त सुविधा
नहीं होने की वजह से शिशु को चाईल्ड केयर नामक निजी अस्पताल में एडमिट करवाया गया था।
उसके शरीर से वहां भी कीड़े निकल रहे थे” – उपेंद्र कुमार, बाल कल्याण समिति
अध्यक्ष
पा-लो ना का पक्ष –
कुछ सवाल जन्म लेते हैं, जिनके जवाब चाहिएं –
जिस बच्चे के शरीर के अंदर से कीड़े निकल रहे हों, उसे
स्वस्थ क्यों बताया जा रहा था?
तीन दिन तक बच्चा गढ़वा जैसी जगह में इलाजरत रहा। उसे
बेस्ट मैडिकल केयर दिलवाने का ख्याल जिला बाल संरक्षण इकाई को क्यों नहीं आया?
यदि वह स्वस्थ था तो फिर उसकी मौत का कारण क्या रहा?
क्या वह सरकारी सिस्टम की लापरवाही का शिकार हो गया?
पालोना के अनुरोध पर पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया, लेकिन
क्या कभी इस मासूम के हत्यारे पकड़े जाएंगे, जिनमें इस बच्चे को असुरक्षित छोड़ने वालों
के साथ-साथ सरकार में बैठे वे लोग भी शामिल हैं, जिन पर इस जैसे बच्चों के संरक्षण की
जिम्मेदारी है।
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05 September, 2019 Garhwa, Jharkhand (M, D)