क्या हुआ –
02 जनवरी की सुबह झारखंड के गढ़वा जिला मुख्यालय से गुजरने वाली दानरो नदी के छठ
घाट पर नवजात (लड़के) का शव मिला। स्थानीय लोग नदी किनारे शौच के लिए गये थे तो उनकी
नजर बच्चे पर पड़ी। बच्चे को एक कपड़े पर रखा गया था लेकिन ऊपर से नहीं ढका गया था।
उसकी गर्भनाल भी साथ लगी हुई थी। संभवतः देर रात प्रसव के बाद बच्चे वहां रखा गया था।
पालोना को घटना की जानकारी स्थानीय पत्रकार श्री आशीष अग्रवाल से मिली।
सरकारी व मीडिया पक्ष –
“रात में प्रसव के बाद शायद जीवित अवस्था में ही उसे वहां
छोड़ा गया था। न उसके तन पर कोई कपड़ा था, न उसके ऊपर से ही कपड़ा ढंका गया था। हो सकता
है कि बच्चे की मौत ठंड के कारण हुई हो” –
श्री आशुतोष रंजन, पत्रकार, गढ़वा
“सुबह बच्चे का शव मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने उसी
स्थान पर उसे दफना दिया। पुलिस को खबर तो मिली पर, उन्होंने संज्ञान नहीं लिया। शव का
कोई दावेदार भी सामने नहीं आया” –
श्री उपेंद्र कुमार, बाल कल्याण समिति, गढ़वा
पा-लो ना का पक्ष –
बच्चे के शरीर पर जन्म के समय जो खून व गर्भनाल लगी थी,
उससे प्रतीत होता है कि उसे परिवार के लोगों ने ही सुनसान जगह पर छोड़ा होगा। इसमें
बच्चे की मां भी शामिल हो सकती है। इस संदेह को इससे भी बल मिलता है कि किसी ने बच्चे
पर दावा नहीं किया, न ही आसपास कहीं मिसिंग बच्चे की शिकायत आई, जैसा कि अपहरण या बच्चा
चोरी के केस में हो सकता था।
पुलिस को चाहिए था कि बच्चे को बरामद कर उसका पोस्टमॉर्टम
कराती, ताकि पता चल सके कि कहीं यह हत्या का मामला तो नहीं। इस अपराध को रोकने के लिए
जरूरी है कि उसे आईपीसी और जेजे एक्ट के उपयुक्त सेक्शंस में दर्ज किया जाए।
यदि बच्चा मृत भी पैदा हुआ हो तो नियमतः निर्धारित स्थान
पर उसका अंतिम संस्कार होना चाहिए था। इस तरह कहीं भी जानवरों के लिए डाल देना अमानवीय
है।
पालोना के प्रयासों के परिणामस्वरूप झारखंड व उत्तर प्रदेश के कई जिलों में साल 2018 व
2019 में शिशु परित्याग व हत्या के कई मामले उपयुक्त सेक्शंस में एफआईआर के रूप में
दर्ज हुए।
साल 2020 में हमारा लक्ष्य इससे एक कदम आगे बढ़ने और उन दोषियों को सामने लाने का है,
जो बच्चों की इस हालत के जिम्मेदार हैं। ये कदम भविष्य में इन घटनाओं को अंजाम देने
वाले लोगों के दिलो में कानून का डर बैठाने में सहायक होगा।
लेकिन यहां ध्यान देने योग्य है कि पालोना केवल उन्हीं लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई
की वकालत करता है, जो नन्हे मासूमों को असुरक्षित छोड़ते हैं। पालोना उनके साथ है, जो
बच्चों को सुरक्षित सरकार को सौंपते हैं, या सरकार द्वारा लगाए पालने में छोड़ते हैं या
कम से कम उसकी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए स्थान का चयन करते हैं, ताकि उसकी जान को कोई
नुकसान नहीं पहुंचे।
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02 January, 2020
Garhwa, Jharkhand (M, D)