क्या हुआ –
मोहाली के डेरा बस्सी स्थित सिविल अस्पताल में शनिवार सुबह एक नवजात शिशु का शव मिला।
यह शव एमरजेंसी के शौचालय के फ्लश टैंक में ठूंसा गया था। गर्भनाल भी शिशु से अटैच थी।
बच्चा पूरी तरह विकसित था और डॉक्टर्स के अनुसार उसका वजन 3 किलो है। इसी वजह से फ्लश
टैंक का ढक्कन बंद नहीं हुआ और बदबू उसमें से बाहर आऩे लगी, जिसने सफाईकर्मी का ध्यान
खींचा। घटना सुबह आठ बजे के आस-पास घटी।
सरकारी पक्ष –
पुलिस ने आईपीसी सेक्शन 315 और 318 के तहत केस दर्ज कर लिया है। जांच अधिकारी हरजीत
सिंह के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज में दो महिलाओं की गतिविधियां संदिग्ध नजर आ रही हैं।
इनमें से एक महिला बार-बार शौचालय की तरफ जाती दिखाई दी है। अनुमान है कि घटना सुबह
पांच बजे से आठ बजे के बीच घटी होगी। पुलिस अस्पताल कर्मियों की संलिप्तता के बिंदु पर
भी पड़ताल कर रही है।
वहीं, सीनियर मेडिकल ऑफिसर संगीता जैन ने बताया कि जैसे ही सफाईकर्मी ने बच्चे को टैंक
में देखा, वह उसे तुरंत डॉक्टर के पास लेकर गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया और
पुलिस को तत्त्काल सूचना दी गई। शव का पोस्टमार्टम हो गया है और उसका डीएनए सैंपल आगे
की जांच के लिए लैब भेजा गया है।
पा-लो ना का पक्ष –
पा-लो ना को घटना की जानकारी एक सजग व संवेदनशील चाईल्ड एक्टिविस्ट श्री वाई.एस. राणा
से मिली। घटना का विवरण जानने और तस्वीर देखने से इस आशंका को बल मिलता है कि उसकी
हत्या की गई है। शिशु को जन्म के तुरंत बाद ही फ्लश टैंक में डाल दिया गया होगा। इसके
लिए उसके मुंह को पानी में डुबोकर रखा गया था और गर्भनाल भी काटी नहीं गई।
कुछ अखबारों में 03 किलो वजन के इस बच्चे को भ्रूण लिखा गया है। पालोना ने इस गलती को
रेखांकित किया है। शिशु को शिशु ही लिखा जाना चाहिए। भ्रूण और शिशु हत्या के दोषियों
में अंतर होता है और उनके उद्देश्य में भी।
पालोना का स्पष्ट मानना है कि जांच के साथ दोषियों को बेनकाब करना भी बहुत ज़रूरी है।
अगर ऐसा नही हुआ तो भविष्य में इन घटनाओं की पुनरावृत्ति से इनकार नही किया जा सकता। यह
भी मालूम हुआ है कि मार्च माह के अंतिम दिनों में भी यहां करीब छह माह का अपरिपक्व
#शिशु शव मिला था। उस वक्त भी पुलिस कार्रवाई हुई थी। अगर उस समय सख्त कदम उठाया गया
होता और दोषी पकड़े जाते तो शायद अन्य कोई ऐसा दुस्साहस नहीं करता और एक मासूम नवजात
बच्चे का जीवन बचाया जा सकता था।
चंडीगढ़, दिल्ली जैसे शहरों में कानूनी तौर पर सही तरीके से ही डील किया जा रहा है इन
मामलों को और धाराएं भी मौजूदा कानून के हिसाब से सही लगाई गईं हैं। लेकिन जब ये केस
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में जाएंगे तो ये पता करना मुश्किल होगा कि ये जन्म से
पहले भ्रूण की हत्या है या जन्म के बाद बच्चे की। इसलिए पालोना शिशु हत्या के मामलों के
लिए कानून में संशोधन की मांग लगातार कर रहा है।
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25 May 2019 Mohali (Derabassi), Punjab (M, D)