उसे झाड़ियों में फेंक दिया गया था, जन्म के तुरंत बाद, प्लेसेंटा के साथ ही। उस पर मक्खियां भिनभिना रहीं थीं। फिर पुलिस आई, उसे उठाया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। घटना शुक्रवार सुबह जलडेगा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के ठीक पीछे घटी।
सिमडेगा के पत्रकार विकास साहु और श्रीराम पुरी ने पा-लो ना को बताया कि जलडेगा में एक नवजात ल़ड़के का शव मिला है। यह कस्तूरबा आवासीय विद्यालय की पीछे की दीवार के पास मौजूद झाड़ियों में फेंका गया था। उसके साथ ही प्लेसेंटा भी जुड़ा हुआ था। सफाई के दौरान सुबह करीब दस-ग्यारह बजे के आस-पास विद्यार्थियों ने उसे देखा और वार्डन को इसकी सूचना दी। बच्चे का शव देखने से लगता है कि जन्म के तुरंत बाद ही उसे वहां फेंक दिया गया होगा। दोपहर करीब एक बजे जलडेगा प्रखंड विकास पदाधिकारी श्री संजय कुमार कोंगाड़ी जलडेगा थाना प्रभारी श्री सुशील कुमार एवं एसआई मौके पर पहुंचे।
थाना प्रभारी ने पा-लो ना को बताया कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टर्माटम के लिए भेज दिया गया है। साथ ही आईपीसी की धारा 302 व 201 के तहत मामला भी दर्ज किया गया है। वहीं बीडीओ कोंगाड़ी जी ने बताया कि घटना सुबह की है और जांच चल रही है। जब उनसे पूछा गया कि क्या घटनास्थल पर खून के धब्बे भी मिले हैं तो उन्होंने उससे इनकार किया।
इस से पा-लो ना को लगता है कि बच्चे का जन्म किसी और स्थान पर हुआ होगा। कहीं और से ही उसे लाकर वहां फेंका गया होगा। ये निश्चित है कि बच्चा कुछ ही घंटों पहले जन्मा था। उसकी मौत वहां झाड़ियों में फेंके जाने के बाद हुई या फिर वह मृतावस्था में ही पैदा हुआ था, ये पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही स्पष्ट हो पाएगा।
एक और बात जो पा-लो ना को महसूस हुई कि इस मामले में पुलिस ने केस तो दर्ज किया, लेकिन उपयुक्त धाराएं नहीं लगाईं। धारा 302 और 201 से ये स्पष्ट ही नहीं होता कि शव किसी बच्चे का मिला है या किसी व्यस्क का। ये गलती शायद अकसर दोहराई जाती है, तभी मामले दर्ज होने के बावजूद ये बच्चे नीति नियंताओं का ध्यान खींचने में असफल रहते हैं और यूं ही गुमनामी में मारे जाते हैं।
13 जुलाई 2018 सिमडेगा, झारखंड (M)