क्या हुआ –
रविवार की सुबह एक मकान में रिपेयरिंग का काम कर रहे कुछ मजदूरों ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी। बहुत देर के बाद भी जब आवाज बंद नहीं हुई तो उन्होंने मकान मालिक को इसके बारे में सूचित किया। इसके बाद सभी लोग जब आवाज
की दिशा में गए तो उन्होंने जमीन पर एक नवजात शिशु को देखा, जिसकी नाभि और खून भी लगा हुआ था। उसके शरीर के पिछले हिस्से और पैर के ऊपरी हिस्से में चींटियां चिपकी हुईं थीं, जो उसे बुरी तरह काट रहीं थीं।
यह घटना दुमका के बासुकीनाथ में शिव विहार के पास मौजूद खेत में हुई। रात भर बारिश होने की वजह से मिट्टी गीली थी। लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार, बच्ची को वहां रखे ज्यादा वक्त नहीं हुआ था।
पा-लो ना को घटना की जानकारी पत्रकार प्रवीण तिवारी से मिली। सूचना मिलते ही बच्ची की स्थिति को जानने के लिए पालोना ने स्थानीय मीडिया के कई साथियों और बच्ची का इलाज करने वाले मेडिकल स्टाफ से बातचीत की।
पा-लो ना का पूर्व का अनुभव बहुत खराब रहा है। आमतौर पर इस स्थिति में मिले बच्ची मैडिकल नेग्लीजेंस का भी शिकार हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे दम तोड़ देते हैं। इसीलिए बच्ची को बेहतर इलाज दिलाने के लिए पा-लो ना
ने संबंधित बाल संरक्षण पदाधिकारियों व आईसीपीएस निदेशक श्री डी.के. सक्सेना से अपील की।
मगर जब स्थानीय पत्रकार अजय कुमार ने बताया कि जरमुंडी का मेडिकल स्टाफ विशेषकर डॉ. अनीश व जीएनएम पूनम विशेष ध्यान दे रहे हैं बच्ची पर और उसका पूरा ध्यान रख रहे हैं, तो कुछ संतुष्टि हुई। सात तारीख सोमवार को बच्ची को
डीएमसीएच, दुमका में रैफर कर दिया गया।
दुमका में भी सीनियर ऑफिसर्स बच्ची की क्लोज मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उनके एक्टिव होने की वजह से इस बच्ची की देखभाल में कोई लापरवाही नहीं बरती जा रही। वर्तमान में बच्ची खतरे से बाहर बताई गई है। फिर भी पा-लो ना का मानना
है कि अगले कुछ दिन और बच्ची की सही देखभाल करनी होगी और उसे पूरा अटेंशन देना होगा। इसके लिए भी पा-लो ना ने सीनियर अधिकारियों से अपील की है।
सरकारी व अन्य पक्ष –
“मैंने बच्ची पर निगाह रखने के लिए स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दे दिया है। डीसीपीयू यूनिट, सीडब्ल्यूसी, सा सब लोग बच्ची को लेकर अलर्ट मोड में हैं।बच्ची के लिए सभी आवश्यक सुविधा उपलब्ध हैं।
वे लोग चिकित्सा कर्मियों से लगातार अपडेट ले रहे हैं।” –
श्री डी. के. सक्सेना, निदेशक, आईसीपीएस, झारखण्ड
“मीडिया के लोग हमारे पास बच्ची को लेकर आए थे। ऐसा लगता है कि बच्ची का जन्म रात में हुआ होगा। उसके शरीर के कई हिस्सों को चींटियों ने अपना निशाना बनाया था। काफी नुकसान बच्ची को हुआ है। वैसे
वह स्वस्थ बच्ची है। वजन भी उसका करीब ढाई किलो है। अच्छी देखभाल के उद्देश्य से उसे जरमुंडी सामुदायिक केंद्र लाते ही लेबर रूम में रखा गया था। बाद में दुमका शिफ्ट किया गया।” –
सुश्री पूनम, जीएनएम, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जरमुंडी, दुमका
“बच्ची का इलाज डॉ. अनीश ने किया। वह बच्ची को पर्सनल अटेंशन दे रहे थे। पहले तो सभी को यही लगा था कि बच्ची जी नहीं पाएगी। डॉक्टर को भी यही संदेह हुआ था। उन्होंने यही सोचा था कि उसे साफ करके
दुमका भेज देंगे। लेकिन जब बच्ची को उन्होंने खुद साफ किया और उसे गर्माहट दी गई तो उसमें करीब एक घंटे बाद जीवन लौट आया। इसके बाद इस आशंका से उन्होंने तुरंत बच्ची को रैफर करने से इनकार कर दिया कि दुमका में बच्ची की देखभाल
भला कौन करेगा। कौन बच्ची को वहां ठीक से देखेगा। डॉक्टर के मुताबिक, बच्ची अब एकदम स्वस्थ है। कहीं से भी कोई चिंताजनक बात नहीं लगती।” –
श्री अजय कुमार, पत्रकार, दुमका
पा-लो ना का पक्ष –
पालोना को इस बात की बेहद खुशी है कि जरमुंडी के मैडिकल स्टाफ ने बच्ची को बेहतर देखभाल और पर्सनल अटेंशन दी, जिसकी वजह से क्रिटिकल कंडीशन होने के बावजूद बच्ची के जीवन की रक्षा हो सकी। पालोना हमेशा इस बात की वकालत करता
है कि इन बच्चों को थोड़ी सी संवेदनशीलता और ईमानदार प्रयासों की जरूरत होती है। यही संवेदनशीलता व प्रयास चमत्कारिक परिवर्तन कर देते हैं और मौत की तरफ बढ़ रहे बच्चों को जीवन की तरफ लौटा लाते हैं।
पालोना जरमुंडी के सरकारी मैडिकल स्टाफ के प्रति दिल से आभार व्यक्त करता है, जिन्होंने बच्ची को बचाने के लिए काफी प्रयास किये। इनके अलावा, पालोना बच्ची को खेत से उठा कर अस्पताल पहुंचाने वाले गीता, रूपेश झा लाली, सेतु
भगत व गौतम पंडा आदि का भी धन्यवाद अदा करता है, क्योंकि वे बच्ची को उठाकर तुरन्त अस्पताल नहीं पहुंचाते, तब भी वह नहीं बच पाती।
इस केस की क्लॉज मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारी भी धन्यवाद के हकदार हैं। उनके निरीक्षण ने बच्ची को लेकर कोई कोताही नहीं होने दी होगी, ऐसी हम उम्मीद करते हैं।
इसके अलावा दुमका पुलिस से केस दर्ज करने व गहन पूछताछ की अपील करते हैं। साथ ही बाल संरक्षण विभाग से अनुरोध है कि वह सेफ सरेंडर पॉलिसी को लेकर राज्य में व्यापक प्रचार प्रसार करें।
06 September 2020
Basukinath, Dumka, Jharkhand (F, A)