सोमवार के दिन शिव मंदिर में ये क्या दिख गया लोगों को!
लाल रंग के कपड़े में लिपटी थी नवजात
05 DECEMBER 2022, MONDAY, DHANBAD, JHARKHAND.
पुजारी जी रोज की तरह शिव मंदिर पहुंचे थे। सुबह का समय था। 05-5:30 बज रहे थे। अंधेरा पूरी तरह छंटा नहीं था। भोर का उजाला फैलने लगा था। इसी हल्के उजाले में उन्हें मंदिर के प्रांगण में जमीन पर लेटी हुई मासूम बच्ची नजर आ गई।
कब, क्या, कैसे हुआ
यह सोमवार का दिन था। शिव मंदिर होने की वजह से इस दिन मंदिर में बहुत गहमागहमी रहती है। पुजारी जी चाहते थे कि शिव भक्तों के आने से पहले वह पूजा की सारी तैयारियां पूरी कर लें। तैयारियों के मद्देनजर मंदिर के प्रांगण में निकले तो देखा कि वहां जमीन पर लाल रंग के कपड़े में कुछ है। उत्सुकतावश वह उसके पास चले गए। उन्होंने देखा कि यह एक नवजात बच्ची (Newborn Baby Girl) है। और पास जाने पर देखा तो सांसे थम चुकी थी उसकी।
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हैरान थे लोग
उन्होंने आसपास के लोगों को इसकी खबर दी। पिछली रात जब वह मंदिर के कपाट बंद करके घर गए थे तो वहां कुछ भी नहीं था। फिर एक छोटी मासूम बच्ची रात में ही मंदिर के प्रांगण में कैसे पहुंच गई? उन्हें इस सवाल का कुछ जवाब नहीं मिल पा रहा था। आसपास के लोगों की भीड़ मंदिर में जमा होने लगी।
हर व्यक्ति इस बात से हैरान था कि एक नवजात बच्ची को कब और कोई क्यों छोड़ गया था इस मंदिर के प्रांगण में।
लोग चर्चा कर रहे थे कि मासूम बच्ची को वहां छोड़ने वाले क्या वह इस बच्ची को बचाना चाहते थे? उन्हें यह लगा होगा कि मंदिर में होने की वजह से नवजात बच जाएगी। ठंड इतनी ज्यादा है शायद इसी वजह से बच्ची बच नहीं पाई। इस बीच, पुलिस भी सूचना पाकर वहां पहुंच गई थी।
पुलिस कर रही है कार्रवाई
नवजात के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। मामले में आईपीसी 318 के तहत कार्रवाई की जा रही है। – (जैसा सदर पुलिस थाने के इंस्पेक्टर विनय कुमार ने पालोना को बताया।)
मुख्य बातें
पालोना को इस बच्ची की जानकारी धनबाद के पत्रकार श्री राजीव सिंह से मिली। उनके साथ साथ पत्रकार श्री राजकुमार ने विस्तृत जानकारी तक पहुंचने में मदद की। यह घटना धनबाद जिले के धनबाद थाना क्षेत्र स्थित धैया खटाल रोड में सदा शिव आश्रम के शिव मंदिर में घटी।
पालोना का पक्ष
पालोना लोगों की चर्चा से सहमत है। संभवतः नवजात को बचाने के उद्देश्य से ही उसे मंदिर के प्रांगण में रखा गया होगा। काश, उन्होंने थोड़ी समझदारी बरती होती-
- सेफ सरेंडर – मासूम को सीडब्लूसी के हाथों में सौंप दिया होता तो बच्ची आज जीवित होती।
- सही समय – कम से कम उन्हें इतना तो करना ही चाहिए था कि प्रांगण में ऐसे समय में मासूम बच्ची को लाते, जब वहां लोगों की आवाजाही होती।
- इन स्थितियों में लग सकती है इंडियन पीनल कोड की धारा 315 (IPC 315)
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- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यदि बच्ची की हत्या की पुष्टि होती है, तब वह मामला IPC 315 में कनवर्ट हो जाएगा।
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- यदि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ऐसी कोई बात सामने आती है, जिससे लगे कि बच्ची को जब छोड़ा गया, वह जीवित थी, और बाद में उसी वजह से उत्पन्न स्थितियों के परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हुई है, तब उस मामले में भी आईपीसी 315 लगेगी।
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- यदि किसी ने परित्यक्त नवजात को जीवित अवस्था में देखा हो और फिर उन्हीं हालातों की वजह से उसकी मौत हुई हो तब भी आईपीसी 315 का केस बनता है। उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर उसमें अन्य सेक्शंस भी लगाए जाएंगे।