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Home    दिल्ली- कमोड में नवजात का शव मिला

Latest News On Infanticide

दिल्ली- कमोड में नवजात का शव मिला

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बच्चे की हत्या करने वाले गिरफ्तार

भारत में शिशु हत्या की घटनाएं चिंताजनक स्थिति में- पालोना

21 JANUARY 2023, DELHI

MONIKA ARYA

दिल्ली पुलिस पांच महीनों से उस नन्हे मासूम के हत्यारों को ढूंढ रही थी। हर सूचना को गंभीरता से लिया जा रहा था। उन्होंने ढाई सौ से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाल डाले। ये सब इसलिए कि रोहिणी स्थित निजी अस्पताल के कमोड में एक नवजात का शव मिला था।

DELHI COMMODE ME MILA NAVJAT KA SHAV

पालोना को इस घटना की जानकारी गूगल सर्फिंग के दौरान मिली। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स को पढ़ने  पर मालूम हुआ कि ये घटना 20-21 जनवरी 2023 की रात को रोहिणी के बुद्ध विहार इलाके में स्थित रजनी गुप्ता अस्पताल के शौचालय में घटी थी।

कब, कहां, कैसे घटी घटना

पुलिस के हवाले से स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में लिखा है कि 20-21 जनवरी की मध्य रात्रि विजय विहार पुलिस स्टेशन में एक पीसीआर कॉल प्राप्त हुई थी। ये कॉल कमोड में नवजात का शव मिलने की थी और शिकायतकर्ता रजनी गुप्ता अस्पताल की डॉ. श्रुति थीं।

डॉ. श्रुति ने बताया कि बीस जनवरी की रात साढ़े नौ बजे एक गर्भवती महिला चार अन्य लोगों के साथ रजनी गुप्ता अस्पताल में आई। मरीज का नाम सीमा (बदला हुआ नाम) उम्र- 21 साल है।

जब डॉ. श्रुति सीमा को देखने उसके कमरे में आईं तो सीमा कमरे में मौजूद नहीं थी। मरीज (सीमा) के साथ आई एक अन्य महिला ने बताया कि सीमा वॉशरूम गई है।

कुछ देर बाद डॉक्टर ने मरीज के बारे में फिर पूछा लेकिन पता चला कि सीमा और उसके साथ आए चारों जानकार अस्पताल से चले गए हैं।

कमोड में मिला नवजात का शव

उसी रात करीब साढ़े 12 बजे एक व्यक्ति अस्पताल के शौचालय में गया और कमोड में एक नवजात का शव देखा। उसी ने अस्पताल प्रशासन को मामले की जानकारी दी थी।

विजय विहार पुलिस ने शिकायतकर्ता के बयान पर आईपीसी की धारा 318/34 के तहत मामला दर्ज किया। एसएचओ अनुज अग्रवाल की देखरेख में पुलिस टीम को मामले की जांच सौंपी गई। शव को मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया गया।

अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई लेकिन आरोपी व्यक्तियों का चेहरा, उनकी मोटर साइकिल और स्कूटी का नंबर दिखाई नहीं दे रहे थे। इस मामले की जांच के लिए टीम ने इलाके के करीब ढाई सौ से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज को खंगाला।

ऐसे हुई गिरफ्तारी

आखिरकार, एक संदिग्ध व्यक्ति को इलाके की एक मेडिकल दुकान के सीसीटीवी फुटेज में देखा गया। मेडिकल दुकान के मालिक ने बताया कि उक्त व्यक्ति ने उसकी दुकान से सौ रुपये में कुछ दवाएं ली थी। जिसकी पेमेंट पेटीएम से की गई थी।

इस पेमेंट से पुलिस को संदीप (21) के बारे में पता चला। जो विजय विहार इलाके का ही रहने वाला था। लेकिन वह गांव चला गया था।

उसको एक पुख्ता सूचना पर पकड़ा गया। उसकी निशानदेही पर सीमा (20) और उसके तीन अन्य दोस्तों को भी बुधवार, 21 जून 2023 को पकड़ लिया गया।

मामले का खुलासा करते हुए पुलिस ने बताया कि सीमा और संदीप लिव इन में रह रहे थे। सीमा यूपी के रामपुर की निवासी है। दोनों में शारिरिक संबंध बने। सीमा गर्भवती हो गई थी। जिसके बाद वो काफी ज्यादा परेशान थे।

जब डिलीवरी का वक्त आया तो सीमा को रजनी गुप्ता अस्पताल लाया गया। अचानक उसे दर्द हुआ। वह शौचालय गई तो बच्चा कमोड में गिर गया। वे घबरा गए थे और इसलिए नवजात को कमोड में ही छोडक़र वे सभी वहां से फरार हो गए। 

संदीप और सीमा के साथ अन्य गिरफ्तार लोगों में मीना (24), दीपक (28) और सूरज (29) हैं। ये भी उन दोनों के साथ अस्पताल गए थे।

संदीप फ्लिकार्ट में डिलीवरी बॉय का काम करता है। जबकि उसके दो दोस्त भी अलग अलग कंपनियों में डिलीवरी बॉय का काम करते हैं।  

भारत में शिशु हत्या की घटनाएं चिंताजनक स्थिति में- पालोना

भारत में शिशु हत्या की घटनाएं चिंताजनक स्थिति में पहुंच गईं हैं। हर दिन देश के किसी न किसी हिस्से से इन घटनाओं का रिपोर्ट होना ये बताता है कि लोगों में न संवेदना बची है और न ही कानून का डर। 

इसके पीछे कहीं न कहीं राज्य व केंद्र सरकारों की लापरवाही भी दोषी है। सरकारें इस जघन्य अपराध को गंभीरता से नहीं ले रही हैं।

वहीं, गैर सरकारी संगठनों के लिए भी ये मुद्दा गौण है। केवल दो-तीन अभियान और संस्थाओं के भरोसे इन अबोध नवजातों के जीवन को सुरक्षित नहीं किया जा सकता। 

इसे रोकने के लिए व्यक्ति से लेकर समाज और सरकार तक को कमर कसनी होगी। कुछ बिंदु हैं, जिन पर ध्यान देकर इस दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं।

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व्यक्ति की भूमिका- अकेला व्यक्ति भी इन बच्चों की जिंदगी में सकारात्सक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण सहयोग दे सकता है- 

  • 1) शिशु हत्या को रोकने में लगे संगठनों के साथ जुड़कर अवेयरनैस और सेंसेटाइजेशन  में मदद करें।
  • 2) अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर इससे संबंधित जानकारी शेयर करें। 
  • 3) अपने ऑफिस/बिल्डिंग/गली/मुहल्ले/बस्ती आदि में अवेयनरनैस कैंपेन आयोजित करें।
  • 4) इस काम में लगी संस्थाओं और अभियानों को आर्थिक सहयोग दें।
  • 5) उन परिवारों, माता-पिता की पहचान करें, जो टफ टाइम से गुजर रहे हों, उन्हें उपलब्ध विकल्पों के बारे में बतलाएं या संबंधित संस्थाओं से कनेक्ट करवाएं।
  • 6) हर जिले में सीडब्लूसी कार्यरत है, ये जानकारी सभी लोगों को पता होनी चाहिए। सीडब्लूसी में नवजात शिशु को गोपनीय तरीके से सुरक्षित समर्पित (SAFE SURRENDER) किया जा सकता है। 

समाज की भूमिका- समाज के डर के कारण होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए समाज की भूमिका महत्वपूर्ण है। विशेषकर वैसे संबंधों से जन्मे बच्चे, जिन्हें समाज मान्यता नहीं देता है, वहां समाज को भी गहराई से सोचना होगा। 

हमें एक ऐसी कल्चर विकसित करनी होगी, जहां empathy, support, and acceptance सहज उपलब्ध हों। हमारा समाज ऐसा हो, जहां किसी माता-पिता को किसी डर की वजह से अपने बच्चे को असुरक्षित छोड़ने या उसकी हत्या करने का दुष्कृत्य न करना पड़े।

इसकी बजाय वे निःसंकोच होकर अपने बच्चे के लिए मदद मांग सके, उपलब्ध संसाधनों और विकल्पों तक पहुंच बना सकें, ये हम सबका सम्मिलित प्रयास होना चाहिए।

सरकार की भूमिका- 

भारत में शिशु हत्या और उनका परित्याग कानूनन अपराध होने के बावजूद आज धड़ल्ले से अंजाम दिए जा रहे हैं तो सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए।

  • – क्या ये कानून काफी हैं?
  • – क्या इनका तत्परता से पालन हो रहा है?
  • – क्या मौजूदा कानूनों में बदलाव की जरूरत है?
  • – क्या संबंधित कानूनों और उसमें होने वाली सजा और जुर्माने पर लोगों को अवेयर किया जाना चाहिए?

सरकार को इन पर गहराई से सोचना होगा। साथ ही लोगों को विकल्प भी उपलब्ध करवाने होंगे। उन पर भी अवेयरनैस करनी होगी। इन विकल्पों में कुछ निम्न हैं-

  • 🔻 इस अपराध के मूल कारणों को समझना और उन्हें दूर करना।
  • 🔻 सेफ सरेंडर पॉलिसी के बारे में जन जागरुकता करना।
  • 🔻 बेबी सरेंडर पॉइंट्स इस तरह से डेवलप करना कि वो लोगों की रीच में हों।
  • 🔻 Vulnerabile Families की पहचान करके उन्हें सपोर्ट और मार्गदर्शन मुहैया कराना।

इन सभी को करने से शिशु का जीवन तो सुरक्षित होगा ही, समाज और देश में हम नए अपराधियों को जन्म लेने से भी रोक सकेंगे।

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